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Saturday, January 11, 2025

लोहड़ी 13 जनवरी

लोहड़ी सिख/ पंजाबी समुदाय का  प्रमुख त्यौहार है मुरव्यता पंजाब, दिल्ली, हरियाणा एवं पड़ोसी राज्यों में मनाया जाता है। लोहड़ी मकर सक्रान्ति के एक दिन पहले मनाया जाता है। लोहड़ी का त्योहार फसलों की कटाई पर प्रकृति को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है। लोहड़ी के लिये लकड़ियों की ढेरी पर सूखे उपले भी रखकर संध्या को जलाकर समूह के साथ तिल, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली, गजक , मक्की के दानो को अग्नि की परिक्रमा करते हु्ए लोग आग में  डालते है। इसके साथ ही परिवार की सुख, समृद्धि की कामना की जाती है। फिर प्रसाद के रूप में बांटते है, आग सेकते हुए रेवड़ी, खील, गजक, मक्का खाने का आनन्द लेते है। ये चीजें ठंड से बचाव करती है और शरीर को ऊर्जा देती हैं

इस अवसर पर ढोल की ढाप पर गिद्दा एवं भागड़ा नृत्य एवं  पारंपरिक गीत गाते  है। जिस घर में नई  बहू आती है और घर में संतान का जन्म हुआ होता है उस परिवार में बहुत धूम-धाम से लोहड़ी मनाते हैं सगे संबंधी एक-दूसरे को लोहड़ी की बधाई देते है और नवजात शिशु / नवविवाहित जोड़े को सभी आशीर्वाद देते है - 


लोहड़ी की लोक-कथा-
एक  समय सुन्दरी और मुदंरी नाम की दो अनाथ कन्याये  थी जिनको उनके चाचा शादी न करके एक राजा को भेंट  करना चाहता था। उस समय दुल्ला भट्टी नाम का एक नामी डाकू था। जो अमीरो को लूट कर गरीबो की सहायता करता था, उसने इन कन्याओं की मदद करी और लड़के वालों को मनाकर जंगल में आग जलाकर सुन्दरी और मुदंरी कन्याओं का विवाह करवाया। दुल्ला भट्टी ने शादी कराकर शगुन के तौर पर कन्याओं की झोली में शक्कर डालकर कन्यादान किया। इस तरह एक डाकू ने निर्धन कन्याओं के लिये पिता की भूमिका निभाई।
कुछ लोगों के अनुसार लोहड़ी शब्द की उतपत्ति संत कबीर की पत्नी लोई के नाम से हुई हैं तो कुछ लोग तिलोड़ी नाम से उत्पन्न हुआ मानते हैं जिसे बाद मे लोहड़ी कहा जाने लगा।

- ज्योतिषाचार्य एस0एस0 नागपाल , स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र, अलीगंज, लखनऊ

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