लोहड़ी सिख/ पंजाबी समुदाय का प्रमुख त्यौहार है मुरव्यता पंजाब, दिल्ली, हरियाणा एवं पड़ोसी राज्यों में मनाया जाता है। लोहड़ी मकर सक्रान्ति के एक दिन पहले मनाया जाता है। लोहड़ी का त्योहार फसलों की कटाई पर प्रकृति को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है। लोहड़ी के लिये लकड़ियों की ढेरी पर सूखे उपले भी रखकर संध्या को जलाकर समूह के साथ तिल, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली, गजक , मक्की के दानो को अग्नि की परिक्रमा करते हु्ए लोग आग में डालते है। इसके साथ ही परिवार की सुख, समृद्धि की कामना की जाती है। फिर प्रसाद के रूप में बांटते है, आग सेकते हुए रेवड़ी, खील, गजक, मक्का खाने का आनन्द लेते है। ये चीजें ठंड से बचाव करती है और शरीर को ऊर्जा देती हैं
लोहड़ी की लोक-कथा- एक समय सुन्दरी और मुदंरी नाम की दो अनाथ कन्याये थी जिनको उनके चाचा शादी न करके एक राजा को भेंट करना चाहता था। उस समय दुल्ला भट्टी नाम का एक नामी डाकू था। जो अमीरो को लूट कर गरीबो की सहायता करता था, उसने इन कन्याओं की मदद करी और लड़के वालों को मनाकर जंगल में आग जलाकर सुन्दरी और मुदंरी कन्याओं का विवाह करवाया। दुल्ला भट्टी ने शादी कराकर शगुन के तौर पर कन्याओं की झोली में शक्कर डालकर कन्यादान किया। इस तरह एक डाकू ने निर्धन कन्याओं के लिये पिता की भूमिका निभाई।
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