नौ दिवसीय श्रीराम कथा शुभारंभ के पूर्व निकाली गई भव्य कलश यात्रा
बड़ी भवानीदाई मंदिर परिसर में आयोजित हो रही श्रीराम कथा
तिंदवारी, के एस दुबे । स्वामी अवधेशदास महाराज ने नाम महिमा कथा महिमा से कथा की शुरुआत की। उन्होंने कहा संत समागम और रामकथा अत्यंत दुर्लभ है, समस्त ग्रंथों का निचोड़ श्री रामचरितमानस में ही है। सभी शास्त्रों का रस श्री रामचरित मानस है। सभी को राम से ही मिलना है, भगवान आवरण से नहीं आचरण से मिलते है। यही संदेश संतों ने संपूर्ण सृष्टि को दिया है। नौ दिवसीय श्री राम कथा के शुभारंभ अवसर पर शुक्रवार की सुबह बड़ी भवानीदाई प्रांगण से कलश यात्रा निकाली गई। गांव भ्रमण के बाद कलश यात्रा मौनीबाबा आश्रम में संपन्न हुई।राम कथा सुनाते हुए स्वामी अवधेशदास जी महाराज ने कहा कि राम की महिमा अपरम्पार है. जीवन का आधार ही राम नाम है. श्रीराम कण-कण में रमण करने वाली शक्ति है और श्री राम की कथा का श्रवण करने से इंसान भवसागर से
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| कलश यात्रा में शामिल श्रद्धालु। |
पार हो जाता है. श्रीराम की भक्ति मन, वचन और कर्म की शुद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।भगवान राम के आदर्शों को अपनाने से जीवन धन्य हो जाता है। कथा व्यास अवधेशदास जी महाराज ने कहा कि भगवान राम की कथा का श्रवण करना केवल पुण्य अर्जन नहीं, बल्कि आत्मा को जागृत करने का भी माध्यम है. उन्होंने कहा कि जो श्रद्धालु भागवान राम के आदर्शों को अपनाते हैं, उनका जीवन सार्थक और धन्य हो जाता है. सूर्य, चंद्रमा, अग्नि, वायु सभी में जो शक्ति है, वह राम नाम में समाहित है। गुरु-शिष्य परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कथा व्यास ने कहा कि राम नाम का जाप और राम कथा के श्रवण का जब भी मौका मिले, वहां निश्चित रूप से पहुंचें। इस मौके भाजपा नेता आनंद स्वरूप द्विवेदी, शत्रुघ्न द्विवेदी, संदीप द्विवेदी, गंगाबाबू द्विवेदी, संदीप शुक्ला, भूपेंद्र द्विवेदी, रामबाबू तिवारी, शशिकांत शुक्ल, पंकज तिवारी, राजेश द्विवेदी, शिवम द्विवेदी, दीपक शुक्ला, ऋतिक द्विवेदी, इच्छाराम त्रिवेदी, कृष्णकांत तिवारी, कृष्णकुमार द्विवेदी, सचिन द्विवेदी,आयु तिवारी, नितेंद्र द्विवेदी आदि सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। इधर, तिंदवारी क्षेत्र के जौहरपुर चंदौखी में शुक्रवार को भागवत कथा व्यास गोपाल मिश्रा ने कहा कि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की आधी रात को मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था । श्रीकृष्ण के जन्म की इसी शुभ घड़ी का उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा था। द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था। कथावाचक ने कहा रोहिणी चंद्रमा की प्रिय पत्नी और नक्षत्र हैं। इसी कारण कृष्ण रोहिणी नक्षत्र में जन्मे। अष्टमी तिथि शक्ति का प्रतीक है, कृष्ण शक्तिसंपन्न, स्वमंभू व परब्रह्म है । इस मौके पर लाखन सिंह ,केसर सिंह ,अभय प्रताप सिंह, अखिल सिंह परमार, बलवान सिंह, शंकर सिंह परिहार मौजूद रहे।


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