विश्वविद्यालय में जनहित की सांस्कृतिक यात्रा
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) में गुरूवार को डॉ भीमराव अम्बेडकर की 136वीं जयंती के मौके पर डॉ अम्बेडकर व सामाजिक समरसता विषयक एक ऐतिहासिक व्याख्यान कार्यक्रम हुआ। राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई, दर्शन विभाग एवं हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भाषा संकायाध्यक्ष डॉ किरण त्रिपाठी ने की, जबकि दर्शन विभागाध्यक्ष डॉ हरिकांत मिश्रा की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को चार चाँद लगा दिए। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ अम्बेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पण से हुआ, जिससे उपस्थित सभी जनों में श्रद्धा की एक गहरी लहर दौड़ गई। हिन्दी विभाग के परास्नातक द्वितीय सेमेस्टर के छात्र शत्रुघ्न विश्वकर्मा ने डॉ अम्बेडकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपने विचार रखे, जबकि शोधार्थी सत्येन्द्र यादव ने स्वरचित दोहों के माध्यम से स्वरांजली अर्पित की। छात्रा इच्छा
![]() |
| डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर व्याख्यान में बैठे अतिथि |
उपाध्याय एवं राममणि ने भी डॉ अम्बेडकर के शैक्षिक प्रदेय पर विचार व्यक्त करते हुए बताया कि कैसे उनके सिद्धांत ने समग्र सामाजिक उन्नति में मार्गदर्शन प्रदान किया है। हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य डॉ पीयूष कुमार द्विवेदी ने बताया कि डॉ अम्बेडकर भारतीय राष्ट्रवाद एवं हिंदू एकता की अगुवाई करते थे, जिनकी विचारधारा सामाजिक समरसता का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत करती है। अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार ने अम्बेडकर की आर्थिक दूरदर्शिता का वर्णन किया और ग्रामीण तथा तकनीकी विकास पर उनके जोर पर प्रकाश डाला। दर्शन विभागाध्यक्ष डॉ हरिकांत मिश्रा ने अम्बेडकर के दर्शन में सामाजिक-न्याय के माध्यम से यह सिद्ध किया कि एक ऐसा समाज संभव है जहाँ वर्णभेद रहित, सौहार्दपूर्ण और भयमुक्त वातावरण हो। कार्यक्रम में अर्थशास्त्र विभाग की सहायक डॉ तृप्ति रस्तोगी, शोधार्थिनी शीला पाल, और हिन्दी तथा दर्शन विभाग के विद्यार्थी भी मौजूद रहे।


No comments:
Post a Comment