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Wednesday, April 30, 2025

अक्षय तृतीया पर चित्रकूट से उठी नई मिसाल-अब हर मंदिर-मस्जिद कहेगा बाल विवाह नहीं

धर्मगुरुओं ने संभाली बाल विवाह की रोकथाम की कमान

अक्षय तृतीया पर चित्रकूट बना प्रेरणा

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ इस बार अक्षय तृतीया पर एक ऐतिहासिक पहल सामने आई है। जिले के धर्मगुरु-पंडित, मौलवी और पादरी-खुद आगे आकर बाल विवाह को रोकने का बीड़ा उठा चुके हैं। कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत मदन गोपाल दास महाराज समेत कई धार्मिक नेताओं ने बाल विवाह के खिलाफ खुलकर मोर्चा संभाल लिया है।  यह क्रांतिकारी परिवर्तन जन कल्याण शिक्षण प्रसार समिति ने जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के सहयोग से चलाए जा रहे अभियान का परिणाम है। समिति के सचिव शंकर दयाल ने बताया कि विवाह करवाने वाले पुरोहितों और धर्मगुरुओं के सहयोग के बिना बाल विवाह रोका नहीं जा सकता था, इसलिए उन्हें अभियान से जोड़ा गया। इसके परिणामस्वरूप आज चित्रकूट के कई मंदिरों व मस्जिदों में बोर्ड लग चुके हैं-यहां बाल विवाह नहीं होते।

बाल विवाह के खिलाफ प्रदर्शन करते बच्चे

धर्मगुरुओं को बताया गया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 में नाबालिग बच्चों की शादी कराना या उसमें किसी भी प्रकार की सेवा देना अपराध है, जिसकी सजा दो साल की जेल व जुर्माने के रूप में हो सकती है। साथ ही, पॉक्सो कानून के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से विवाहोपरांत यौन संबंध भी कानूनी रूप से बलात्कार की श्रेणी में आता है। इस अभियान में धर्मगुरु अब न केवल बाल विवाह न कराने की शपथ ले रहे हैं, बल्कि समाज को भी जागरूक कर रहे हैं। समिति का दावा है कि इस बार अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होगा।  


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