बांदा, के एस दुबे । अधिवक्ता परिषद ने कहा कि न्याय पालिका में हाल में हुई घटनाओं ने एक बार फिर से देश को झकझोर कर रख दिया। अधिवक्ता परिषद ने विभिन्न क्षेत्रों के महत्वपूर्ण व्यक्तियों से बातचीत की और उच्च न्यायालयों व निचली अदालतों में वकालत करने वाले अधिवक्ताओं से फीडबैक प्राप्त किया। न्याय पालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए प्रत्येक व्यक्ति की अंतरआत्मा के प्रति नहीं बल्कि समाज के प्रति जवाबदेही की दृष्टि से भी नहीं चूकना चाहिये। अधिवक्ता परिषद ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपते हुए कई मांगें की। अधिवक्ता परिषद अध्यक्ष महेश सिंह तोमर समेत परिषद पदाधिकारियों ने कहा कि एक नया कानून तत्काल जाया जाए ताकि
![]() |
| कलेक्ट्रेट में प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपते परिषद पदाधिकारी। |
नियुक्ति और न्यायिक आचरण की निगरानी की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी तरीके से हो सके। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि इस प्रक्रिया में न्याय पालिका की प्रमुख भूमिका हो। जब तक यह कानून प्रभावी नहीं हो जाता, तब तक काले नियम के माध्यम से उच्च न्याय पालिका में ननुयक्ति की वर्तमान प्रक्रिया जारी रह सकती है। इसमें पूर्व विचार जांच आदि सहित अधिक पारदर्शिता लाई जा सकती है। इसके अलावा अन्य मांगें भी अधिवक्ता परिषद पदाधिकारियों ने की। इस मौके पर परिषद अध्यक्ष के अलावा सभी पदाधिकारी मौजूद रहे।


No comments:
Post a Comment