पोषण से पशुपोषण तक
बच्चों व माताओं पर रहा फोकस
गौशालाएं प्रशासन की करुणा की परीक्षा
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जिले में पोषण व पशुपोषण-दोनों मोर्चों पर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जीएन की अध्यक्षता में आयोजित दो महत्वपूर्ण बैठकों में एक ओर जहां बच्चों, किशोरी बालिकाओं और गर्भवती महिलाओं के पोषण व स्वास्थ्य को लेकर व्यापक निर्देश जारी किए गए, वहीं दूसरी ओर गोवंशों के संरक्षण एवं गौशालाओं की व्यवस्था को लेकर भी ठोस रणनीति बनाई गई। कलेक्ट्रेट में हुई जिला पोषण समिति की बैठक में जिलाधिकारी ने आंगनबाड़ी केन्द्रों की निर्माण प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि एक भी निर्माण कार्य लंबित न रहे, सभी केन्द्र आपसी समन्वय से एक माह में पूर्ण होकर हैंडओवर हों। पोषण पखवाड़ा में गर्भवती महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों को जनजागरूकता का सशक्त माध्यम बताते हुए जिलाधिकारी ने ऐसे शिविरों को नियमित रूप से करने का निर्देश दिया। जिन आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सैम-मैम (गंभीर व मध्यम कुपोषित) बच्चों की संख्या शून्य है, वहां विशेष निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। इसी क्रम में गोवंश
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| पोषण व पशुपोषण की बैठक लेते डीएम |
संरक्षण को लेकर हुई बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि गौशालाएं सिर्फ संरक्षित स्थान नहीं, बल्कि प्रशासन की करुणा की परीक्षा हैं। उन्होंने पैरावेट की नियुक्ति, टीकाकरण, प्राथमिक चिकित्सा, बधियाकरण और चारा व्यवस्था जैसे बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा करते हुए निर्देश दिए कि सभी व्यवस्थाएं युद्धस्तर पर की जाएं। गोबर/खाद की बिक्री से मिलने वाली राशि को गौशालाओं के रखरखाव में लगाने का आदेश देते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि सोलर लाइट की उपलब्धता का डाटा तैयार किया जाए और रात्रि में पर्याप्त रोशनी करें। भूसा, साइलेज और पशु आहार की आपूर्ति के लिए शीघ्र टेंडर की कार्रवाई हो। बैठकों में डीसी मनरेगा धर्मजीत सिंह, डीसी एनआरएलएम ओपी मिश्रा, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ एसके पांडेय, जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, समेत अन्य मौजूद रहे।


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