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Sunday, May 7, 2023

बदलता मौसम बना मुसीबत, मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ा

जिला अस्पताल में खांसी, जुकाम, बुखार और निमोनिया के मरीज पहुंच रहे 

अस्पताल खुलते ही मरीजों की लग जाती है लंबी लाइन

बांदा, के एस दुबे । मई के महीने में लोग पसीने से तर-बतर हो जाते थे, लेकिन अबकी बार मौसम का मिजाज बदला नजर आ रहा है। लोग आश्चर्य चकित हैं कि मई के महीने में मौसम नर्म नजर आ रहा है। दिन में तेज धूप होती है और शाम होते ही मौसम खुशगवार नजर आता है। यानी कि हल्की ठंडक का एहसास होता है। ऐसे में मौसमी बीमारियां पांव पसार रही हैं और मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। लगातार बदल रहे मौसम के मिजाज से खांसी, जुकाम, बुखार के मरीज जहां बढ़े हैं वहीं मासूम बच्चे निमोनिया के शिकार हो रहे हैं। जिला अस्पताल में सुबह होते ही मरीजों की लंबी लाइन लग रही है। चिकित्सकों ने बदलते मौसम से सावधान रहने की बात कही है। 

जिला अस्पताल में भर्ती मरीज

ठन दिनों मौसम का मिजाज लोगों को अपना रंग दिखा रहा है। दिन में तेज धूप और शाम होते ही मौसम में नरमी आ जाने के कारण लोग खासे हलाकान नजर आ रहे हैं। सुबह होते ही अस्पताल में मरीजों की लंबी लाइन लग रही है। खांसी, जुकाम, बुखार के साथ ही मासूम बच्चे निमोनिया से पीड़ित होकर अस्प्ताल पहुंच रहे हैं। पर्चा काउंटर में तैनात कर्मचारियों की मानें तो प्रतिदिन एक हजार से अधिक मरीज अपना पंजीकरण करा रहे हैं। पर्चा बनवाने के बाद मरीज जिला अस्पताल की ओपीडी में मौजूद चिकित्सकों के चेंबरों पर अपना उपचार करा रहे हैं। इन दिनों मौसमी बदलाव के कारण ज्यादातर मरीज खांसी, जुकाम, बुखार से पीड़ित पहुंच रहे हैं। पेट दर्द और उल्टी के मरीजों की संख्या भी कुछ कम नहीं है। जिला अस्पताल के पर्चा काउंटर से लेकर चिकित्सकों के चेंबर तक में मरीजों की भीड़ नजर आ रही हैं। जबरदस्त भीड़ होने के कारण मरीजों को उपचार प्राप्त करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक तो चिकित्सक समय से अपने चेंबरों में बैठते नहीं हैं। इसके साथ ही दो बजने के पहले ही डाक्टर अपनी कुर्सी छोड़कर चले जाते हैं। ऐसे में ज्यादातर मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बिना उपचार के ही काफी हद तक मरीज वापस लौट जाते हैं और मजबूरन प्राइवेट अस्पतालों में पहुंचकर अपना उपचार करवाते हैं, वहां पर उनका जमकर आर्थिक शोषण किया जाता है। चिकित्सकों का कहना है कि मौसमी परिवर्तन के कारण ज्यादातर खांसी, जुकाम, बुखार और पेट दर्द व उल्टी से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खास बात यह है कि बदलता हुआ मौसम सबसे ज्यादा बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। डायरिया के अलावा फिर से सर्दी, जुकाम, बुखार के मरीजों का आना-जाना शुरू हो गया। इतना ही नहीं निमोनिया भी मासूम बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है। वहीं बुजुर्ग श्वांस रोग से पीड़ित होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल के फिजीशियन डा. हृदयेश पटेल ने बताया कि इस मौसम में एक दर्जन से ज्यादा मरीज श्वांस पीड़ित पहुंच रहे हैं। वहीं वरिष्ठ बाल्य रोग विशेषज्ञ डा. आरके गुप्ता ने बताया कि मौसमी परिवर्तन से मासूम बच्चे भी निमोनिया के शिकार होकर अस्पताल आ रहे हैं। उन्होंने लोगों को आगाह किया है कि मासूम बच्चों को सीधे पंखे की हवा में न लिटाएं। उनके ऊपर चादर आदि डालकर रखें। जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने बदलते हुए मौसम में लोगों से सावधान रहने की अपील की है। 

नकसीर के मरीजों में भी हो रहा इजाफा 

बांदा। तापमान का पारा बढ़ने से लोग हलाकान नजर आ रहे हैं। वहीं शुष्क हवाएं चलने से बुजुर्ग और बच्चे की नाक से रक्तस्राव हो रहा है। सोमवार को खुले अस्पताल में नाक, कान, गला रोग विभाग में मरीजों की जमकर भीड़ रही। इतना ही नहीं चिकित्सकों के अन्य कक्षों में भी मरीजों की लंबी लाइन लगी रही। नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डाक्टर महेश कुमार गुप्ता ने बताया कि सुष्क हवाओं और तापमान बढ़ने से नाक के भीतर की नमी खत्म हो रही है। इससे झिल्ली फटने से नाक से रक्तस्राव शुरू हो जाता है। नाक से रक्तस्राव होने पर मरीज को गर्दन ऊपर करने से रक्तस्राव बंद हो जाता है। उन्होंने लोगों को बताया कि नाक पर बार-बार उंगली न डालें। घर से बाहर निकलने पर गमछा आदि डालकर ही बाहर निकलें। बताया कि प्रतिदिन नाक से रक्तस्राव के चार से पांच मरीज आ रहे हैं। एक सप्ताह में उन्होंने आधा सैकड़ा से अधिक मरीजों का उपचार किया है। 


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