हाई टच आंगनबाड़ी केंद्रों पर किया पौधारोपण
फतेहपुर, मो. शमशाद । छोटी-छोटी उंगलियां खड़खड़ाहट के इर्द-गिर्द लिपटी हुई हैं। छोटा हाथ बेतरतीब तरंगें और हरकतें कर रहा है। जिससे खड़खड़ाहट बज रही है। अचानक आवाज़ सुनकर छोटी-छोटी उत्सुक आंखें चौड़ी हो जाती हैं। छोटे-छोटे कान आवाज़ के स्रोत का पता लगाने की कोशिश करते हैं और इस दौरान, वह छोटा-सा मुंह एक बड़ी मुस्कान में बदलने लगता है क्योंकि बच्चा अपने नए खिलौने के साथ खेलना सीख रहा है। कबाड़ से जुगाड़ के ढेरों उदाहरण आज वैकल्पिक संसाधनों के रूप में लोगों को न केवल नवाचार करने की सीख दे रहे हैं बल्कि संसाधनों की कमी होने के बाद भी साधनविहीन लोगों को संसाधन युक्त जीवन बनाने में मदद भी करते हैं। इसी सोच के साथ वैन लीर फाउंडेशन एवं विक्रमशिला एज्युकेशन रिसोर्स सोसायटी की टीम पिछले दो वर्षों से घर पर पड़ी प्लास्टिक बोतलों से छोटे बच्चों के लिए झुनझुने एवं संवेदी (सेंसरी) बोतलें बनाने का कार्य कर रही है। जीवन के प्रथम 1000 दिवस परियोजना की राज्य समन्वयक साक्षी पावर ने कहा कि पर्यावरण दिवस संपूर्ण विश्व के
कचरे से बने खिलौने व बोतल दिखाते फाउंडेशन के पदाधिकारी। |
लोगों को पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक करता है। यह दिवस हमें पर्यावरण के प्रति हमारे कर्तव्यों, जिम्मेदारियों को याद दिलाकर हमें पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए अभिप्रेरित करता है। उन्होंने हाई टच आँगनबाड़ी केंद्र कार्यकत्रियों को पौधे भेंट कर समुदाय को पर्यवरण की रक्षा करने की संकल्प शपथ भी दिलवाई। साथ ही वैन लीर फाउंडेशन के जिला कार्यक्रम समन्वयक ने यूज्ड प्लास्टिक बोतलों से बने सेंसरी खिलौने व झुनझुने आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भेंट कर केंद्र के अंतर्गत परवरिश के आँगन कार्यक्रम के अंतर्गत समस्त माता पिता को खिलौने बनाने के प्रशिक्षण देने हेतु आग्रह किया। जीवन के प्रथम 1000 दिवस परियोजना की समस्त हाई टच आँगनबाड़ी केंद्रों में पौधारोपण भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान परियोजना टीम के विषय विशेषज्ञ प्रारंभिक बाल्य विकास आर्यन कुशवाहा, विषय विशेषज्ञ पोषण सोनल रूबी राय, परियोजना अधिकारी प्रशांत पंकज एवं अनामिका पांडेय उपस्थित रहे। अनुभव गर्ग ने बताया कि जीवन का सबसे प्यारा सहारा पर्यावरण है। इसके संरक्षण हेतु हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे। पर्यावरण की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना होगा।
कोट-
नीति आयोग के सहयोग से पिछले दो वर्षों से आकांक्षी जनपद में मानसिक विकास लिए अनुपयोगी प्लास्टिक बोतलों से बन रही सेंसरी बोतलों व झुनझुने (खिलौने) खेल के माध्यम से बच्चों को सीखने में मदद कर रहे हैं। साथ ही पर्यावरण को बचाने की सीख भी दे रहे हैं-डॉ. दीपक संखवार शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ, सहायक आचार्य मेडिकल कालेज फतेहपुर।
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