स्वामी रामभद्राचार्य ने की बड़ी घोषणा
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । 52वें राष्ट्रीय रामायण मेले का समापन पद्म विभूषित तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज के आशीर्वचन के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि यह मेला अद्वितीय है, लेकिन भविष्य में इसे वह स्वयं आयोजित करेंगे। सरकारी धन के अतिरिक्त आवश्यक खर्च वह अपनी ओर से वहन करेंगे। समापन समारोह में स्वामी रामभद्राचार्य ने सनातन धर्म के विरोधियों द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार को निराधार बताते हुए कहा कि रामलला मंदिर निर्माण के लिए उनकी याचिका पर ही सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था। उन्होंने रामायण के विविध आयामों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महर्षि वाल्मीकि ने सौ रामायणों की रचना की थी। तुलसीदास का जन्म चित्रकूट के राजापुर में होना जनपदवासियों के लिए गर्व की बात है। बताया कि उन्होंने अब तक 250 पुस्तकें
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रामायण मेले के समापन पर स्वामी रामभद्राचार्य महाराज को सम्मानित करते पूर्व सांसद |
लिखी हैं और रामचरितमानस के नौ रसों के अलावा तीन और रसों की व्याख्या की। इससे पहले, रामकथा भक्ति विचार मंच में मानस किंकर राम प्रताप शुक्ल ने श्रीराम कथा की महिमा पर प्रकाश डाला। ग्वालियर के श्रीलाल पचौरी ने भरत चरित्र पर व्याख्यान दिया, जबकि डॉ. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित ने चित्रकूट में भगवान राम के वनवास काल पर चर्चा की। रामायण मेले में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने भी दर्शकों का मन मोह लिया। नई दिल्ली की आर्ट एंड आर्टिस्ट परफॉर्मिंग आर्ट संस्था द्वारा लाइट और साउंड शो के माध्यम से संपूर्ण रामायण मंचित की गई। वृंदावन के कलाकारों ने धनुष यज्ञ, बृज की फूलों की होली और रासलीला का जीवंत मंचन किया। समापन समारोह में पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र, प्रांत अध्यक्ष प्रशांत करवरिया, महामंत्री करुणाशंकर द्विवेदी समेत अन्य मौजूद रहे।
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