गोवर्धन से सीखें प्रकृति संरक्षण
जब वृक्ष हरे रहेंगे, तब जीवन खिलेगा
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास मिथलेश त्रिपाठी ने पर्यावरण संरक्षण और नशामुक्त जीवन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि जब तक हम प्रकृति से प्रेम नहीं करेंगे, तब तक हमारा जीवन सार्थक नहीं होगा। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं प्रकृति को पूज्य मानकर उसकी रक्षा का संदेश दिया। जब इंद्र के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा करनी थी, तब उन्होंने गोवर्धन पर्वत उठाकर यह सिद्ध किया कि पर्वत, नदियाँ, वृक्ष और समूचा पर्यावरण हमारी रक्षा करता है, इसलिए हमें भी उनकी रक्षा करनी चाहिए।
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कथा व्यास के मार्गदर्शन में पर्यावरण संरक्षण को जन जागरूक करते ग्रामीण |
कथा व्यास ने कहा कि आज जब नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं, जंगल कट रहे हैं और पर्यावरण असंतुलित हो रहा है, तो हमें श्रीकृष्ण के दिखाए मार्ग पर चलकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए। श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें, जल को स्वच्छ रखें और तंबाकू-गुटखा जैसी हानिकारक वस्तुओं से बचें। डॉ प्रभाकर सिंह ने कथा श्रोताओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आध्यात्मिक साधना के साथ हमें अपने कर्मों को सुधारना होगा। नशामुक्ति पर जोर देते हुए कहा कि नशा न केवल व्यक्ति को, बल्कि पूरे समाज को नुकसान पहुँचाता है। श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि भगवान को साक्षी मानकर नशा छोड़ने का संकल्प लें। भागवत कथा भरतपुर गांव में वंश गोपाल सोनी द्वारा किया गया। विकास पथ सेवा संस्थान ने पर्यावरण संरक्षण व तंबाकू के दुष्प्रभावों को दर्शाते हुए जागरूकता पोस्टर लगाए। डाबर इंडिया लिमिटेड के सहयोग से कथा श्रोताओं को फ्रूट जूस वितरित किया गया, जिससे लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जा सके।
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