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Monday, March 24, 2025

शिक्षकों का फूटा गुस्साः सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ अब आर-पार की लड़ाई

वित्तविहीन शिक्षकों की हालत बदतर

शिक्षकों की हुंकार, होगा बड़ा आंदोलन

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । कहते हैं, अगर शिक्षा दीपक है, तो शिक्षक उसकी बाती। लेकिन जब यही बाती उपेक्षा की आँधियों में जल-जलकर बुझने लगे, तो शिक्षा का उजियारा भी फीका पड़ जाता है। प्रदेश के शिक्षकों का गुस्सा अब सातवें आसमान पर है। सरकार की अनदेखी व वादाखिलाफी से नाराज शिक्षक अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। सोमवार को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय आह्वान पर काली पट्टी बांधकर मूल्यांकन कार्य कर रहे शिक्षकों से प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी ने मुलाकात की। उन्होंने शिक्षकों की समस्याओं को सुना व सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह सरकार शिक्षक विरोधी है। शिक्षकों ने पुरानी पेंशन बहाली, सेवा सुरक्षा नियमावली की बहाली, चयन बोर्ड की धारा 12, 18 व 21 को पुनः लागू करने, वित्तविहीन शिक्षकों को सेवा नियमावली में शामिल कर समान कार्य के लिए समान वेतन देने की माँग कई

शिक्षकों के साथ प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी

बार की, लेकिन सरकार सिर्फ आश्वासन देकर पीछे हट गई। अब प्रदेशभर के शिक्षक इस बेरुखी को सहने के मूड में नहीं हैं। प्रधानाचार्या कल्पना राजपूत के नेतृत्व में वित्तविहीन शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल सुरेश त्रिपाठी से मिला। इन शिक्षकों ने अपनी दयनीय स्थिति का ब्योरा देते हुए कहा कि प्रदेश में ढाई से तीन लाख शिक्षक बिना सरकारी मानदेय के शिक्षा की मशाल जलाए हुए हैं, लेकिन सरकार ने आज तक उनकी सुध नहीं ली। सरकार की वादाखिलाफी व उपेक्षात्मक रवैया अब असहनीय होता जा रहा है। शिक्षक विधायक ने ऐलान किया कि अगर जल्द ही शिक्षकों की समस्याओं का हल नहीं निकला, तो 14 अप्रैल को राज्य परिषद की बैठक में बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। इस मौके पर जिला मंत्री सूर्यभान सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश प्रसाद, कोषाध्यक्ष अवधेश सिंह, जयशंकर प्रसाद ओझा, सुनील शुक्ला, ऋषि कुमार शुक्ला, रघुनंदन सिंह, प्रधानाचार्य धर्मेंद्र सिंह, डॉ रणवीर सिंह चौहान, राकेश प्रताप सिंह, जेपी मिश्रा, दिनेश मिश्रा, राजेश्वर प्रसाद, धीरेंद्र सिंह, धर्मेंद्र सिंह, महेशचंद्र कटियार, अखिलेश कुमार गौतम, अरुण सिंह समेत बड़ी संख्या में शिक्षक मौजूद रहे। बैठक में निर्णय लिया गया कि शिक्षकों के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रहेगा और जरूरत पड़ने पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।  


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