नदी नहीं, चित्रकूट की आत्मा है मंदाकिनी
अभय महाजन का तीन दिवसीय जनसंग्राम
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जिले की आत्मा मानी जाने वाली माँ मंदाकिनी आज स्वयं अपने ही आंचल को बचाने के लिए पुकार रही हैं। सदियों से तपस्वियों की साधना, रामभक्तों की आस्था और तीर्थयात्रियों के श्रद्धा-स्नान की साक्षी रही यह नदी अब प्रदूषण की मार झेल रही है। निर्मलता व अविरलता की प्रतीक यह जलधारा धीरे-धीरे अपवित्र होती जा रही है। इसी चिंता को केंद्र में रखकर दीनदयाल शोध संस्थान ने 24 से 26 मई तक तीन दिवसीय माँ मंदाकिनी स्वच्छता एवं जन-जागरूकता कार्यक्रम की घोषणा की है, जिसमें साधु-संत, समाजसेवी, प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय जन भागीदारी निभाएंगे।
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| माँ मंदाकिनी की स्वच्छता पर अभियान चलाने को वार्ता करते अभय महाजन |
24 मई को लोहिया सभागार, उद्यमिता विद्यापीठ में संगोष्ठी का आयोजन कर योजना की दिशा तय की जाएगी, जबकि 25 और 26 मई की सुबह रामघाट व राघव प्रयाग घाटों पर सामूहिक स्वच्छता अभियान और जनजागरूकता कार्यक्रम चलाया जाएगा। इस पुनीत कार्य में उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट और मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष डॉ मोहन नागर जैसे दिग्गज शामिल होंगे। इसकी संपूर्ण रूपरेखा राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन द्वारा तैयार की गई है। जनमानस से अपील की गई है कि श्रद्धालु तथा स्थानीय नागरिक माँ मंदाकिनी में साबुन-शैम्पू का प्रयोग न करें, प्लास्टिक व थर्मोकोल से परहेज करें, भंडारों में पत्तों से बने दोना-पत्तल अपनाएं तथा नदी के किनारे वृक्षारोपण कर उनके संरक्षण में सहभागी बनें। करोड़ों भक्तों की आस्था की केंद्र यह नदी अब हमारी सामूहिक जिम्मेदारी बन चुकी है।


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