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Thursday, November 6, 2025

कसहाई स्कूल में डीएम की एंट्री- दाल बनी स्वादिष्ट, अनुशासन निकला फीका

14 शिक्षक तैनात, मौके पर 8 नदारद 

मिड-डे-मील पास, टॉयलेट फेल 

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जिलाधिकारी पुलकित गर्ग ने गुरुवार को कसहाई स्थित पीएम श्री कम्पोजिट विद्यालय का औचक निरीक्षण कर शिक्षा व्यवस्था की नब्ज टटोल डाली। बिना किसी पूर्व सूचना के पहुंचे डीएम के साथ एसडीएम पूजा साहू और तहसीलदार चन्द्रकांत तिवारी भी मौजूद रहे। विद्यालय में कुल 14 अध्यापक तैनात हैं, लेकिन मौके पर मात्र 6 शिक्षक ही उपस्थित पाए गए। बाकी 8 अध्यापक संकुल रैली में बच्चों के साथ गए बताए गए। निरीक्षण के दौरान डीएम ने मिड-डे-मील का स्वाद खुद चखकर देखा- अरहर दाल, लौकी मिक्स और रोटी, जो मीनू के अनुसार पाया गया और गुणवत्ता संतोषजनक रही। डीएम ने बच्चों के साथ बैठकर भोजन किया और

कसहाई स्कूल के आकस्मिक निरीक्षण में डीएम

उनके पठन-पाठन से जुड़ी जानकारी ली, जो उन्हें संतोषजनक लगी। हालांकि, स्कूल के शौचालयों की गंदगी देखकर जिलाधिकारी भड़क उठे और साफ-सफाई पर कड़ी फटकार लगाई। ग्राम प्रधान ने बताया कि पूरे गांव में मात्र एक सफाईकर्मी तैनात है, जिससे दिक्कत होती है। इस पर डीएम ने निर्देश दिए कि पर्याप्त सफाईकर्मी तैनात किए जाएं ताकि विद्यालय और ग्राम दोनों स्वच्छ रहें। डीएम ने शिक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिए कि समय से विद्यालय पहुंचें, पढ़ाई में किसी प्रकार की लापरवाही न हो, तथा विद्यालय परिसर में साफ-सफाई और पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। औचक निरीक्षण ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जिलाधिकारी पुलकित गर्ग की नजर से कोई भी लापरवाही नहीं बच सकती- जहां शिक्षा है, वहां अनुशासन भी जरूरी है।

साहेब कब चखेंगे गांव का एमडीएम? जहां जिलाधिकारी पुलकित गर्ग के कसहाई विद्यालय में औचक निरीक्षण को लोगों ने सकारात्मक कदम बताया, वहीं कुछ समाजसेवियों ने इस दौरे पर तंज कस दिया। समाजसेवियों का कहना है कि साहब शहर के स्कूल में गए तो मीनू के अनुसार बना खाना भी मिल गया और बच्चे भी मौजूद मिले, लेकिन अगर यही औचक निरीक्षण किसी ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय में होता, तो न तो मीनू मिलता, न मिड-डे-मील, और

स्कूल में बच्चों के साथ एमडीएम खाते डीएम

शायद बच्चे भी कक्षा में नजर नहीं आते। उनका कहना है कि प्रशासन की निगाहें केवल शहरी इलाकों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि असली तस्वीर गांवों के स्कूलों में जाकर सामने आएगी, जहां अब भी शिक्षा व्यवस्था दम तोड़ रही है। समाजसेवियों ने व्यंग्य भरे लहजे में कहा कि साहब को शहर का स्वाद मिला, अब गांव का सच भी चखना चाहिए।


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