दम तोड़ती निगम की सेवा
मिलीभगत से सरकारी खजाना लुटा
अवैध बसों का साम्राज्य फल-फूल रहा
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की साख और अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा अब गंभीर होता जा रहा है। निगम कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन और परिवहन विभाग की मिलीभगत से अवैध डग्गामार वाहन खुलेआम राष्ट्रीयकृत मार्गों पर दौड़ रहे हैं, जिससे सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है। क्षेत्रीय मंत्री पवन कुमार गुप्ता ने आयुक्त चित्रकूटधाम मंडल को पत्र भेजकर चेताया है कि यदि इन वाहनों को रोका नहीं गया तो परिवहन निगम धीरे-धीरे समाप्ति की कगार पर पहुंच जाएगा। उन्होंने बताया कि रोडवेज बसें नियमों के अनुसार निर्धारित समय सारिणी पर चलकर शासन को हर माह प्रति बस करीब पच्चीस हजार रुपए
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| आयुक्त चित्रकूटधाम मंडल को पत्र देते क्षेत्रीय मंत्री पवन कुमार गुप्ता |
कर के रूप में देती हैं, जबकि बिना परमिट वाले प्राइवेट वाहन प्रशासन की अनदेखी में यात्रियों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं और बिना टिकट, बिना पंजीकरण व ओवरस्पीड में चलकर दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ा रहे हैं। गुप्ता ने खुलासा किया कि बाँदा से पन्ना, सतना, फतेहपुर और कानपुर मार्गों पर दर्जनों प्राइवेट बसें, टैक्सियाँ और बोलेरो-ऑटो रोजाना यात्रियों को ठूंस-ठूंसकर ले जाती हैं। तीन यात्रियों के परमिट पर दर्जनों लोगों को बैठाया जाता है, जिससे न केवल सड़क सुरक्षा खतरे में है बल्कि निगम बसें यात्रियों के अभाव में डीजल का खर्च भी नहीं निकाल पा रहीं। बाँदा- पन्ना मार्ग पर जहाँ रोडवेज की पाँच बसों के पास वैध परमिट है, वहीं पन्ना से हर सुबह चार बजे बिना परमिट की निजी बसें प्रशासन की मिलीभगत से चल निकलती हैं। गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया कि इन अवैध वाहनों से बिना बिल के करोड़ों रुपए का माल भेजा जाता है, और यह पूरा खेल पुलिस, परिवहन तथा आयकर विभाग के संरक्षण में पनप रहा है। स्थिति यह है कि जहाँ जिला प्रशासन ने रोडवेज बसों को बाबूलाल चौराहा पर खड़ा होने से रोक दिया है, वहीं प्राइवेट वाहन वहीं घंटों यात्रियों को भरते रहते हैं और कोई रोक-टोक नहीं होती। चेताया कि यदि सरकार ने समय रहते इन डग्गामार वाहनों पर रोक नहीं लगाई तो न केवल प्रदेश का राजस्व घटेगा, बल्कि रोडवेज कर्मचारियों के हजारों परिवारों का जीवन संकट में पड़ जाएगा।
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