चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि : शिवरामपुर कस्बा स्थित श्री नागेश्वर प्रसाद अग्रवाल सरस्वती विद्या मंदिर में पर्यावरण संरक्षण गतिविधि कानपुर प्रांत के तत्वाधान में एस.आई.पी. का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें प्रतिभाग करने वाले 50 विद्यार्थियों को पर्यावरण के महत्व एवं उसके संरक्षण की आवश्यकता के प्रति जागरूक किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत माता सरस्वती की वंदना एवं आरती कर की गई। जिसके प्रथम सत्र में विद्यालय के प्रधानाचार्य राज नारायण ने विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण गतिविधि से सम्बन्धित कार्यक्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। ताकि विद्यार्थी जल, जंगल, जमीन और जानवर के साथ जुड़कर के पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं। साथ ही उन्हें पेड़, पानी और पॉलिथीन से संबंधित बातें भी बताई गई। बताया कि किस प्रकार से पेड़ मानव जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण अवयव है। अगर पेड़-पौधे इस धरती से समाप्त हो जाएंगे, तो मानव जीवन भी
पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। कहा कि छोटी-छोटी गतिविधियों के माध्यम से हम पेड़-पौधों का संरक्षण कर सकते हैं। बताया कि उत्सव वाटिका के माध्यम से पेड़-पौधों को संरक्षित किया जा सकता है। बताया इसके तहत किसी भी उत्सव के दिन एक पौधे को रोपित कर उसका तब तक पालन पोषण करें, जब तक कि वह स्वयं से अपना पालन-पोषण करने में सक्षम नहीं हो जाता। इसी क्रम में जल के महत्व तथा जल संरक्षण तथा पॉलिथीन से होने वाले पर्यावरणीय दुष्प्रभाव पर भी चर्चा की गई। इस दौरान विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के अंतर्गत एस.आई.पी. कार्यक्रम की भी जानकारी दी गई। जिसके माध्यम से विद्यार्थी विद्यालय स्तर के बाद जिले स्तर तथा आगामी स्तरों तक जाकर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के लिए अपने विचारों एवं नवाचारों को समाज के सामने रख सकते है। इस दौरान विभिन्न विद्यार्थियों ने एस.आई.पी. के लिए पर्यावरण संरक्षण गतिविधि जिला संयोजक राजेश पांडेय के पास पंजीकरण भी कराया। कराया। विद्यालय के प्रबंधक कमलकांत उपाध्याय ने भी विद्यार्थियों को जागरूक करते हुए रेणुका देवी की कहानी भी सुनाई। जिसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार से चिपको आंदोलन वृक्ष एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था तथा वृक्षों को बचाने के लिए कितने लोगों ने अपनी जान गवाई थी। इस दौरान आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम में विद्यालय के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा पौधे भी रोपित किए गए। जिनकी देखभाल व पालन-पोषण की जिम्मेदारी विद्यार्थियों ने ली। इस मौके पर डॉ श्रीकांत, प्रधानाचार्य सरस्वती शिशु मंदिर भरतकूप भगवान दीन आदि मौजूद रहे।
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