जांच के दौरान टीम सदस्यों को ग्रामीणों ने बताई समस्याएं
दबंगई करते हैं खनन माफिया और क्रेशर संचालक
बांदा, के एस दुबे । पहाड़ों में अवैध खनन करने और अवैध रूप से दबंगई के बलबूते क्रेशर संचालन करने की शिकायत पर आई एनजीटी टीम के सदस्यों ने गिरवां क्षेत्र में पहाड़ों के अवैध खनन और अवैध क्रेशर संचालन की जांच की। जांच के दौरान टीम के सदस्यों ने बारीकी से निरीक्षण किया। इसके साथ ही ग्रामीणों ने टीम के सदस्यों को बताया कि किस तरह से खनन माफिया और क्रेशर संचालक दबंगई के बलबूते उन्हें प्रताड़ित करते हुए बेइज्जत करने का काम करते हैं। गिरवां के जरर गांव के रहने वाले अभिषेक शुक्ला द्वारा एनजीटी में मुकदमा दर्ज कराया गया है। जिसमें कहा गया है कि गिरवां, जरर व पतरहा के पहाड़ों में मानक के विपरीत ब्लास्टिंग होती है। इससे जानमाल का खतरा बना रहता है। चार इंच का होल कर के पहाड़ संचालक किसी भी समय ब्लास्ट कर देते
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पहाड़ों में अवैध खनन और अवैध क्रेशर संचालन की जांच करते एनजीटी टीम के सदस्य |
हैं। क्षेत्र के लोग भय के साए में जीने को मजबूर हैं। इसी तरह क्रेशर वाले भी किसी भी मानक को पूरा नहीं करते हैं। क्रेशर से उड़ने वाली धूल से हजारों एकड़ जमीन बंजर हो रही है। खास बात यह कि गिरवां में भूतेश्वर बाबा जरर में शिव मंदिर वह पतरहा में किशन गुरु बाबा के अति प्राचीन मंदिर हैं, जिनको खतरा बना हुआ है। इन्हीं सब को लेकर के जरर गांव के रहने वाले व अभिषेक शुक्ला ने एनजीटी में शिकायत की थी। इसके बाद एनजीटी ने एक टीम बनाकर के जांच के लिए बांदा भेजी गई। इसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उत्तर प्रदेश के राजेंद्र प्रसाद क्षेत्रीय अधिकारी व अपर जिलाधिकारी उमाकांत त्रिपाठी, खनिज अधिकारी, लखनऊ से आए माइनिंग अधिकारी ने सभी क्रेशर व पहाड़ों की जांच की। इस दौरान जनता ने भी अपनी समस्याएं बताई और बताया कि किस तरह से दबंगई से क्रेशर संचालक व पहाड़ माफिया अवैध खनन कर रहे हैं। विरोध करने वालों को धमकी देते हैं। वहीं प्रदूषण से पूरा क्षेत्र रेगिस्तान बनने की कगार पर है। ऐसे में अगर जल्दी ही यहां पहाड़ों का खनन व क्रेशर संचालन नहीं रोका गया तो करीब 20 गांव के लोग पलायन करने को मजबूर हो जाएंगे। बता दें की जरर गांव में चार क्रेशर चल रही हैं और 6 खनन के पट्टे हैं। इससे भी बुरा हाल गिरवां का है।
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