रामनाम की महिमा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों से मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
विद्वत गोष्ठी में विद्वानों के विचार
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । राष्ट्रीय रामायण मेला के चतुर्थ दिवस पर रामकथा, विद्वत गोष्ठी व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में रामकथा व्यास राम प्रताप शुक्ल मानस किंकर ने कहा कि जहां रामकथा होती है, वहां तीर्थराज प्रयाग, गंगा, यमुना और सरस्वती की उपस्थिति होती है। कहा कि रामकथा से धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है व इसे श्रवण करने में सावधानी आवश्यक है। चित्रकूट के पं संत कुमार मिश्र रामायणी ने बताया कि राम नाम में अग्नि, सूर्य व चंद्र तत्व समाहित हैं, जो हृदय के पाप को जलाकर भस्म कर देते
![]() |
भगवान राम की आरती करते रामायण मेला पदाधिकारी |
हैं। छत्तीसगढ़ के विष्णु कुमार तिवारी ने बताया कि राम का भजन करने वाले को परमगति प्राप्त होती है। मानस मंदाकिनी ने कहा कि देश को सफलतापूर्वक चलाने के लिए संत, सती और वीरों का सम्मान आवश्यक है। डॉ चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित ने कहा कि चित्रकूट सा तीर्थ विश्व में दुर्लभ है। बताया कि तुलसीदास ने भक्ति और लोक जागरण का राष्ट्रीय मंच प्रदान किया। प्रो अल्का पांडेय ने श्रीराम की बाल लीलाओं पर प्रकाश डाला, जबकि असम के देवेन्द्रचंद्र दास सुदामा ने असमिया रामायण पर तुलसीदास के प्रभाव को रेखांकित किया। विद्वानों ने कहा कि रामायण व महाभारत भारतीय संस्कृति के आधार ग्रंथ हैं। राम व कृष्ण भारतीय सभ्यता के केंद्र बिंदु हैं और इनका प्रभाव संपूर्ण विश्व में व्याप्त है। मेले के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में दिल्ली के एनके आर्ट एंड परफॉर्मिंग
![]() |
सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कलाकार |
फाउंडेशन ने राम जन्म, राम-सीता विवाह व परशुराम-लक्ष्मण संवाद का मंचन हुआ, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। वसुंधरा म्यूजिकल ग्रुप लखनऊ ने भक्ति गीत प्रस्तुत किए, जबकि मानसी रघुवंशी व धनंजय सिंह नटराज संगीत ने अपने गायन से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। जयेन्द्र सरस्वती वेद पाठशाला के विद्यार्थियों ने वैदिक रामायण व तुलसीकृत रामायण की तुलनात्मक प्रस्तुति दी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। वृंदावन की रासलीला संस्थान ने सुंदर रासलीला प्रस्तुत की, जिसे देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े।
No comments:
Post a Comment