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Wednesday, April 16, 2025

यह लोकतंत्र है या बैंक मैनेजर की गुंडागर्दी का खुला बाजार?- अनुज यादव

संविधान पर धब्बा हैं ऐसे लोग

तत्काल निलंबित करें

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । बैंक जहां आम जनता उम्मीद के साथ कतार में खड़ी रहती है, एक भरोसे की जगह। लेकिन जब उसी बैंक की कुर्सी पर बैठा अधिकारी, अपने पद की गरिमा को भुलाकर खुलेआम हाथापाई और गाली-गलौज पर उतर आए- तब सवाल उठते हैं और इस बार, सवाल बड़े हैं। अनुज यादव पूर्व जिलाध्यक्ष व सदस्य राज्य कार्यकारिणी समाजवादी पार्टी ने सवाल उठाया है कि अगर सरकारी कुर्सी पर बैठा अफसर ही कानून तोड़ने लगे, तो आम आदमी कहां जाएगा? इस पूरे मामले को लेकर अनुज यादव ने खुला मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति से बदसलूकी का नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मर्यादाओं व संवैधानिक गरिमा पर हमला है। कहा कि जब सबके सामने वीडियो वायरल है, गवाह मौजूद हैं, फिर जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति क्यों हो रही है? अनुज यादव ने इसे प्रशासनिक लापरवाही और सत्ता के संरक्षण का प्रतीक बताते हुए मांग की कि उक्त बैंक मैनेजर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए, उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाए और बैंक की आंतरिक चयन प्रक्रिया की स्वतंत्र जांच कराई जाए। कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ

फाइल फोटो अनुज यादव

भीमराव अंबेडकर की जयंती के दिन भी ऐसे लोगांे का ख्ुाला घूमना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि संविधान का खुला अपमान भी है। सरकार से मांग की कि ऐसे गुंडा प्रवृत्ति वाले अधिकारियों पर नकेल कसने के लिए ठोस कार्यवाही की जाए व आम नागरिकों की गरिमा को सुरक्षित रखा जाए। आगे कहा कि यह न सिर्फ जिले के एक बैंक की शर्मनाक हकीकत है, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए आईना भी है कि किस तरह संवैधानिक पदों पर बैठे लोग, अगर बिना जवाबदेही के छुट्टा घूमते रहे, तो लोकतंत्र धीरे-धीरे एक ढांचे मात्र में सिमटकर रह जाएगा।


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