शैलेन्द्र साहित्य सरोवर की साप्ताहिक रविवासरीय काव्य गोष्ठी संपन्न
फतेहपुर, मो. शमशाद । शहर के मुराइन टोला स्थित हनुमान मंदिर में शैलेन्द्र साहित्य सरोवर के बैनर तले 381 वीं साप्ताहिक रविवासरीय सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन केपी सिंह कछवाह की अध्यक्षता एवं शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी के संचालन में हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में मंदिर के महंत स्वामी रामदास उपस्थित रहे। काव्य गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए केपी सिंह कछवाह ने वाणी वंदना में अपने भाव प्रसून प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरस्वती मां आइए, रखा आरती थाल, सबके हृदय विराजिये, वाणी करो रसाल।। पुनः कार्यक्रम को गति देते हुए काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार से अपने अंतर्भावों को प्रस्तुत किया संसार महाभारत-रण है, हर व्यक्ति यहां है कौंतेय। है धन्य उसी का ही जीवन, जो होता माया से अजेय।। डा. सत्य नारायण मिश्र ने अपने भावों को एक छंद के माध्यम से कुछ इस प्रकार व्यक्त किया दुखिया या संसार में, सुखिया मिला न कोय। याकै वा सुखिया मिला,भगत राम का जोय।। दिनेश कुमार श्रीवास्तव ने अपने भावों को मुक्तक में कुछ इस प्रकार पिरोया शांति हेतु करते प्रयास जो,छिपी उसी
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| काव्य गोष्ठी में भाग लेते कवि एवं साहित्यकार। |
में भूल। बिना क्रांति के शांति है, ज्यों अंबर का फूल।। प्रदीप कुमार गौड़ ने अपने क्रम में काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार भाव प्रस्तुत किये जंक फ़ूड औ खाद्य तेल का, कम प्रयोग ही है बेहतर। घेरे न यदि हमें मोटापा, फिर इससे है क्या बढ़कर।। डॉ शिवसागर साहू ने पढ़ा पंबन सी ब्रिज का हुआ, भारत में निर्माण। सबसे ऊंचा सेतु यह, तले चलें जलयान।। काव्य गोष्ठी के आयोजक एवं संचालक शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी ने अपने भाव एक गीत के माध्यम से कुछ यों व्यक्त किये निर्झर, सरित, सरोवर, सागर और कुओं का दुख जानो। रखो प्रदूषण मुक्त सभी को, जल की कीमत पहचानो।। कार्यक्रम के अंत में स्वामी जी ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। आयोजक ने आभार व्यक्त किया।


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