रामघाट की फिसलन में फंसी तीर्थस्थल की गरिमा
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जहाँ आस्था गहराती है, वहाँ व्यवस्था डगमगाती दिख रही है। चित्रकूट की पवित्र नदियाँ मंदाकिनी व पयस्विनी आज श्रद्धालुओं के लिए शुद्धि का नहीं, असुविधा का कारण बन गई हैं। रामघाट की सीढ़ियाँ, जो कभी तपस्वियों की साधना स्थली थीं, अब हरे फिसलन की चादर ओढ़े तीर्थयात्रियों के लिए जोखिम बन गई हैं। हर दिन किसी न किसी श्रद्धालु के फिसलने की घटनाएं सामने आ रही हैं। सरकार एक ओर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं रामघाट की साफ-सफाई जैसी बुनियादी व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। मातृ मंदाकिनी की गोद में गिरने वाले ये तीर्थयात्री अब भगवान से कम, सफाई कर्मचारियों से ज्यादा डरने लगे
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| मंदाकिनी में लगी काई का दृश्य |
हैं। नगर पालिका के कर्मचारी व अधिकारी, जिन पर सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी है, वे मूकदर्शक बने हुए हैं। सफाई कर्मियों की मनमानी के चलते पंडा समाज व स्थानीय व्यापारी भी आक्रोशित हैं। रामघाट पर नित्य हजारों की संख्या में श्रद्धालु डुबकी लगाने आते हैं और विशेष अवसरों- सोमवार व त्योहारों पर- यह संख्या लाखों को छूती है। मातृ मंदाकिनी और मतगयेश्वर महादेव मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को स्वच्छता नहीं, लापरवाही की सजा मिल रही है। स्थानीय लोगों और पुजारियों ने प्रशासन से रामघाट की सीढ़ियों की नियमित सफाई कराने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही व्यवस्था सुधारी नहीं गई, तो आस्था का केंद्र एक प्रशासनिक विफलता का प्रतीक बन जाएगा।


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