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Monday, May 19, 2025

ओवरलोड ट्रकों के आवागमन से गड्ढों में तब्दील हो रहीं सड़कें

जसपुरा तिराहे पर आए दिन लगता जाम, ओवरलोड वाहनों की लंबी कतार

लोक निर्माण विभाग ने प्रशासन से की सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग

जसपुरा, के एस दुबे । जसपुरा और पैलानी क्षेत्र में खदान से निकल रहे ओवरलोड डम्फरों और ट्रकों ने ग्रामीण संपर्क मार्गों की हालत बद से बदतर कर दी है। हालत यह हो गई है कि अब लोक निर्माण विभाग (निर्माण खंड-2, बांदा) ने उप जिलाधिकारी पैलानी को पत्र भेजकर इन मार्गों पर भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगाने की मांग की है। अधिशासी अभियंता रूपेश कुमार सोनकर द्वारा 9 जनवरी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि पड़वन डेरा खदान से लगातार भारी ट्रकों की आवाजाही के चलते तीन प्रमुख ग्रामीण मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इन मार्गों का निर्माण केवल हल्के वाहनों के लिए हुआ था, लेकिन अब इन पर खनन सामग्री से लदे ओवरलोड वाहन धड़ल्ले से गुजर रहे हैं। ओवरलोडिंग की वजह से सिंधन खुर्द से पड़वन डेरा संपर्क मार्ग प्रभावित लंबाई 2.50

जसपुरा तिराहे से गुजरता ओवरलोड बालू भरा ट्रक।

किमी, सिंधन कला, तगड़ाडेरा, पड़वन डेरा संपर्क मार्ग – प्रभावित लंबाई 2.50 किमी, पैलानी-गलौली मार्ग से सिंधन कला होते हुए लसड़ा गुरगवां मार्ग प्रभावित लंबाई 4.00 किमी (अन्य जिला मार्ग) चकनाचूर हो गए हैं। यह पत्र जिलाधिकारी को भी सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजा गया है, जिसे 10 जनवरी को कार्यालय में प्राप्त कर लिया गया। शनिवार को जसपुरा कस्बे में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब एक ओवरलोड डम्फर जसपुरा तिराहे पर खराब हो गया। ट्रक बालू से पूरी तरह लदा था और ओवरलोडिंग की सीमा कई गुना पार कर चुका था। जानकारी मिलते ही खदान मालिक की ओर से जेसीबी मंगवाकर ट्रक को हटाने का प्रयास किया गया, लेकिन तब तक आधे घंटे तक तिराहे पर भारी जाम लग चुका था।इस दौरान कई स्कूल बसें, एम्बुलेंस और स्थानीय वाहन जाम में फंसे रहे। स्थानीय लोगों ने बताया कि यदि जरा भी चूक होती तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था। गनीमत रही कि समय रहते ट्रक हटवा दिया गया। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सिंधन कला से लेकर जसपुरा तिराहा तक रोजाना सैकड़ों ओवरलोड डम्फर बिना किसी रोक-टोक के गुजरते हैं। कस्बे में इन ट्रकों की स्पीड भी खतरनाक स्तर पर होती है। बावजूद इसके प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को जल्द इस पर सख्त कदम उठाने चाहिए। अन्यथा कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। साथ ही, खदान संचालकों को निर्देशित किया जाए कि वे वैकल्पिक मार्ग का उपयोग करें या फिर इन सड़कों के मरम्मत कार्य में भागीदारी निभाएं।


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