भक्ति, अनुशासन व चरित्र निर्माण का संचय
रामनगर (चित्रकूट), सुखेन्द्र अग्रहरि । ग्रीष्मकालीन अवकाश में बच्चों में सांस्कृतिक चेतना व नैतिक मूल्यों का संचार करने के उद्देश्य से उच्च प्राथमिक विद्यालय करौदी में आयोजित दस दिवसीय रामायण अभिरुचि कार्यशाला का सोमवार को गरिमामय समापन हुआ। संस्कृति विभाग एवं अंतर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान अयोध्या के साथ संस्कार भारती व एडूलीडर्स के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला ने छात्र-छात्राओं को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन दर्शन से जोड़ने का प्रयास किया। कार्यशाला में विद्यार्थियों को रामचरित मानस के गान और वाचन के माध्यम से नैतिक शिक्षा दी गई। कार्यक्रम के समन्वयक अभिषेक सिंह व प्रेमचंद्र यादव (शिक्षक संकुल) रहे, जबकि प्रशिक्षक की भूमिका में शिव कृपाल सिंह ने बच्चों को मानस की पंक्तियों के भावों से जोड़ा। हारमोनियम पर श्यामलाल और ढोलक पर गोविन्द प्रसाद ने सह प्रशिक्षक के रूप में संगत दी। पूरे दस दिन तक चले इस अभ्यास में बच्चों ने भक्ति, अनुशासन और चरित्र निर्माण के अनेक पाठ आत्मसात किए। कार्यशाला के समापन समारोह में खंड शिक्षा अधिकारी रामनगर एनपी सिंह मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कहा कि रामायण न
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| रामायण अभिरुचि कार्यशाला में प्रशस्ति पत्र के साथ बच्चे |
केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन जीने की कला और समाज में घटते मानवीय मूल्यों के समाधान का मार्ग भी प्रस्तुत करता है। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में दीन दयाल शोध संस्थान चित्रकूट से समाज शिल्पी दंपत्ति बबिता सिंह और जितेन्द्र सिंह ने भी अपने विचार रखे। कहा कि शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को संस्कृति और सेवा से जोड़ना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। समापन पर जिला बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से सभी छात्र-छात्राओं, समन्वयकों, प्रशिक्षकों और सह-प्रशिक्षकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यशाला के अंतिम दिन बच्चों ने रामायण वाचन, भजन प्रस्तुतियों और संवादों के माध्यम से अपनी कला व ज्ञान का प्रदर्शन किया, जिसे उपस्थित सभी अतिथियों और शिक्षकों ने सराहा। इस मौके पर विद्यालय के समस्त शिक्षकगण- महेंद्र सिंह राजपूत, चंद्रहास सिंह, अनुदेशक दिनेश मिश्रा, पूनम देवी सहित सभी छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।


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