नीति आयोग व स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा
स्वास्थ्य कर्मियों की उपस्थिति बनीं चर्चा का विषय
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जिले में स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी व्यवस्थाओं की जमीनी हकीकत परखने के लिए निरीक्षणों का सिलसिला तेज हो गया है। 21 दिसंबर को आयुक्त की अध्यक्षता में हुई मंडलीय समीक्षा बैठक में डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ से मिले फीडबैक के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अपर एवं उपमुख्य चिकित्सा अधिकारियों को सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों का नियमित औचक निरीक्षण करने के निर्देश दिए। जिले के सात सीएचसी, 28 पीएचसी और 145 उपकेंद्रों की निगरानी तय की गई है, जहां ड्यूटी में लापरवाही, अनुपस्थिति और सुविधाओं की कमी पहले भी सामने आती रही है। निरीक्षण के दौरान ओपीडी, लैब जांच, जननी सुरक्षा योजना, एनबीएसयू वार्ड, सफाई, पेयजल, सर्दी के मद्देनजर हीटर-कंबल और स्टाफ की उपस्थिति की जांच पर जोर दिया गया है। इसी क्रम में नीति आयोग के केंद्रीय प्रभारी अधिकारी दीपक अग्रवाल ने जिला राजकीय पुस्तकालय, अभ्युदय कोचिंग सेंटर, डिजिटल लाइब्रेरी रैपुरा और आयुष्मान आरोग्य मंदिर बांधी का औचक निरीक्षण किया। पुस्तकालय और कोचिंग केंद्रों में छात्रों ने लंबी दूरी, सीमित संसाधन और सुविधाओं की जरूरतों
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| समीक्षा में जांच करते अधिकारीगण |
को सामने रखा। रैपुरा डिजिटल लाइब्रेरी में कक्षों की कमी और अलग शौचालय की मांग उठी, वहीं अभ्युदय कोचिंग में अध्ययन समय बढ़ाने, टैबलेट, हीटर और मूलभूत सुविधाओं पर चर्चा हुई। आयुष्मान आरोग्य मंदिर बांधी में दवाओं की उपलब्धता, टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की निगरानी और कुपोषित बच्चों के उपचार पर फोकस रहा। निरीक्षणों के दौरान सामने आई तस्वीर ने साफ किया कि व्यवस्थाएं मौजूद हैं, लेकिन नियमित निगरानी और सुधार की जरूरत अब भी बनी हुई है।
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