कानपुर, संवाददाता - शिव महापुराण कथा अष्टम दिवस में आज कथा व्यास पूज्य सन्त प्रतिमा प्रेम नेॐ नमः शिवाय के जाप के साथ कथा का शुभारंभ किया। कैलाश सैहिता के अनुसार पहले वर्ण बनाए गए मस्तक से ब्राम्हण, भुजाओं से क्षत्रिय, पेट का भाग वैश्य,पैर का स्थान शूद्र कहा गया।सबसे बड़ा व्रत है कि जो भी मिल जाए उसे प्रेम से ग्रहण करो उसमे पसंद या नापसंद नही होना चाहिए। कलयुग में लोगो का स्वभाव है वह दूसरों के दोष देखते है वह ईश्वर में भी दोष देख लेते है। कलयुग में यदि व्यक्ति हवन, पूजन न भी करे केवल राम राम का जप करके तो उसे पूर्ण भक्ति का लाभ प्राप्त हो जाता है। भगवान से पूंछा गया आप किससे मिलते है तो भगवान ने बताया कि जिसका निर्मल
मन होता है इसके लिए आवश्यक है कि सतसंग किया जाय। समिति के महासचिव राजेन्द्र अवस्थी ने आज शिव महापुराण के पूर्णता के अवसर पर व्यासपीठ का पूजन एवम दक्षिणा अर्पित किया। कथा श्रवण में प्रमुखरुप से श्री जयराम दुबे, श्याम बिहारी शर्मा, वी के दीक्षित, राज कुमार शर्मा, शैलेंद्र मिश्रा, शंकर लाल परशुरमपुरिया, आर पी पाण्डेय, बी के तिवारी, देवेश ओझा, श्याम सुंदर मिश्रा, पूनम कुमार, रेनू अवस्थी, मोहनी बाजपेई, जयन्ति बाजपेई, सीमा शुक्ला, जया त्रिपाठी, मुन्नी अवस्थी, पिंकी त्रिवेदी, कामिनी मिश्रा, जया, श्वेता, अर्चना, बीना सचान आदि उपस्थित रहीं।
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