तालाबों और नदियों में किया गया कजली का विसर्जन
नरैनी, के एस दुबे । रक्षाबंधन के दूसरे दिन गुरुवार को कस्बे से लेकर गांव तक कजली महोत्सव की धूम रही। महिलाएं अलग अलग तालाबों पर पहुंचीं। महिलाएं सिर पर कजलियां व कलश लिए चल रही थीं। शोभयात्रा शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए शंकर, हनुमान मंदिर होते हुए बंबा तालाब पहुंची जहां कजलियों का विसर्जन किया गया। प्राचीन परम्पराओं के चलते रक्षा बंधन के दूसरे दिन कजली का मेला बंबा तालाब मे शाम के समय लगता है। फसल पर्व के रूप में कजली मेले को जाना जाता है। हिन्दू परिवार की महिलाएं अपने घरों में पत्तों से बने दोनो या
कजी विसर्जन के दौरान तालाब किनारे मौजूद लोग |
अन्य किसी मिट्टी के बर्तन में मिट्टी भर कर गेहूं और जौ मिलाकर बोती हैं। प्रतिदिन इनकी सिंचाई होती है। रक्षाबंधन के अगले दिन कजलियों को नदी व सरोवर में खोंट कर विसर्जित किया जाता है। बंबा तालाब में यह कजली मेला महोत्सव कई वर्षों से न्यू इंडियन ग्रुप द्वारा आयोजित किया जाता हैद्य मेले का आनंद कस्बा वासियों के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी शामिल होकर लेते हैंद्य इस मौके पर नगर पंचायत प्रतिनिधि हरिश्चंद्र सोनकर, ज्ञानेंद्र पांडे, नीरज रैकवार आदित्य त्रिपाठी सभी सभासद मौजूद रहे।
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