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Monday, April 22, 2024

बेटा, अब तो अपनी अम्मी को नहीं बोलोगे जाहिल

46 साल की उम्र में पास किया हाईस्कूल फर्स्ट क्लास 

फतेहपुर, मो. शमशाद । इच्छा शक्ति, एक ऐसा हथियार है, जो किसी भी चीज को हासिल करने का माद्दा रखता है। तभी तो जो इसे अपना सारथी मानकर चलता है सफलता उसके साथ खड़ी होती है। दरअसल, मन में ठान ली गई बात को कर गुजरने की चाहत ही तो इसकी सफलता का राज है। अब 46 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास डिवीजन हाईस्कूल का एग्जाम पास करने वाली रेखा उर्फ तरन्नुम परवीन को ही लें तो उम्र के इस पड़ाव में परीक्षा देने का दृढ़ संकल्प इसलिए लिया क्योंकि इकलौता बेटा बात बात पर ममता की प्रतिमूर्ति को जाहिल कह कहकर के अपमान के घूंट पीने को मजबूर कर रहा था। शहर के सैय्यदवाड़ा इलाके में रहने वाली यह मुस्लिम महिला छह

हाईस्कूल पास करने वाली 46 वर्षीय महिला।

बेटी व एक बेटे की मां है। इतना नहीं इनका एक नवासा भी है। इन्होंने, राजकीय गर्ल्स इंटर कॉलेज मलवां से प्राइवेट स्तर पर हाईस्कूल करने का इरादा बनाया। फिर अपने लक्ष्य को अपनी मंजिल मानते हुए उसे पूरा करके भी दिखाया। बकौल रेखा, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उम्र के इस पड़ाव में परीक्षा भी देना पड़ेगा लेकिन मेरा मानना है कि जो होता है, अच्छा ही होता है। बेशक, मेरा बेटा मुझे बात बात पर अनपढ़ होने का ताना मारता था। उन्हें जाहिल कहकर पुकारता था। फिर भी, इंशाल्लाह जो हुआ अच्छे के लिए क्योंकि अगर बेटा ताने न मरता तो हाईस्कूल पास करने की तमन्ना शायद ही जागृत होती। तरन्नुम परवीन का मानना है कि इंसान को अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ने के लिए हर समय तैयार रहना चाहिए।


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