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Monday, November 25, 2024

धूमधाम से मनाया गया सय्याहे एशिया का सालाना उर्स

सालाना उर्स में देर रात तक चली तकरीरों की महफिल

बांदा, के एस दुबे । शहर बाँदा में ह़ुज़ूर सय्याहे एशिया मोहसिने आज़म बुंदेलखंड ह़ुज़ूर सय्यद मज़हर रब्बानी (सरकार बड़े ह़ज़रत) रह़मतुल्लाह अ़लैह का उर्स बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया। बाद नमाज़े फ़ज्र दरगाहे सय्यदना सरकारे रब्बानी में गुलपोशी, ग़िलाफ़ पोशी की रस्म अदा की गई और उसके बाद क़ुरआन ख़्वानी का एहतिमाम किया गया। इसके बाद रब्बानी मंजिल अ़लीगँज में ठीक सुबह 10.30 बजे से 12.00 बजे तक नातो मनाक़िब की महफ़िल सजाई गई उसके सलातो सलाम और फ़ातिह़ा हुई और लंगर शरीफ़ का एहतिमाम किया गया! बाद नमाज़े अस्र रब्बानी मंजिल अ़लीगँज से शाही जुलूसे चादर शरीफ़ रवाना हुआ जिसमें मुख़्तलिफ़ रंगों के झंडे और चादरें दिखाई दीं और उसमें नातो मनाक़िब और कलामे चादर के तराने की आवाज़ें भी सुनाई दीं कुछ जगहों में जुलूसे चादर का स्वागत भी किया गया। यह जुलूस मुह़ल्ला अ़लीगँज से उठकर हाथीख़ाना से लोहिया पुल होता हुआ दरबारे क़ादरी मज़हरी में सम्पन्न हुआ। बाद नमाज़े मग़रिब दरगाहे सरकार बड़े ह़ज़रत में ग़ुस्लो संदल,

कार्यक्रम के दौरान मौजूद अकीदतमंद

गुलपोशी, चादरपोशी की रस्म अदा की गई और उसके बाद ह़ल्क़ा ए ज़िक्रे का़दरिया और सलामो दुआ हुई। बाद नमाज़े इशा दरगाहे सरकार बड़े ह़ज़रत के पास चमड़ा मंडी ग्राउण्ड में एक अजी़मुश्शान जलसे का आयोजन हुआ। जिसमें किछौछा शरीफ़ से आए हुए ह़ज़रत मौलाना सय्यद नूरानी मियाँ अशरफी़ जीलानी ने फ़रमाया कि ख़ानक़ाहे रब्बानिया का ख़ानक़ाहे अशरफ़िया से बड़ा गहरा ताल्लुक़ है। इसलिए कि ख़ानक़ाहे रब्बानिया के मूरिसे आ़ला मख़्दूमे जहाँनियाने जहाँ गश्त ने मख़्दूमे अशरफ़ सिमनानी को ख़िलाफ़ते का़दरिया से नवाज़ा था। मौलाना मुशाहिद रज़ा चतुर्वेदी नेपाल ने फ़रमाया कि गीता में भी इस्लाम धर्म और पैग़म्बरे इस्लाम की विशेषता बताई गई है। मौलाना सय्यद नय्यर रब्बानी साहब बिल्हौरी ने सरकार बड़े ह़ज़रत के आ़ला किरदार और शरीअत की पाबन्दी का ज़िक्र किया और साथ ही उनकी दीनी ख़िदमात पर भी रौशनी डाली। और जनाब ताबिश नय्यर दमोही, जनाब सय्यद सुफ़ियान हाशमी कानपुरी और सय्यद आदिल मसूदी ने अपने अपने मख़्सूस अंदाज़ में ख़िराजे अक़ीदत पेश किये। और भी दीगर उलमा ए किराम अपने अपने अंदाज में सरकार बड़े ह़ज़रत की अजमतो शानघ् बयान की! और नात ख़्वाँ हजरात ने अपने कलाम पेश किये! जलसे की निज़ामत जनाब सय्यद ग़ुफ़रान रब्बानी ने की और कलामे रब्बानी से जलसे का आग़ाज़ ह़ाफ़िज़ो क़ारी सय्यद जौहर रब्बानी ने किया! और ठीक सुबह 4रू10 मिनट पर क़ुल शरीफ़ हुआ फिर सलातो सलाम पढ़ा गया और साहिबे सज्जादा हजरत मौलाना क़ारी सय्यद अनवर रब्बानी साहब ने ख़ुसूसी दुआ की। इस मौक़े पर ख़ुसूसी तौर पर मौलाना सय्यद ख़ुश्तर रब्बानी, मौलाना सय्यद मेराज मसूदी (शहर क़ाज़ी) मौलाना सय्यद ज़ाहिद रब्बानी, मौलाना सय्यद राशिद रब्बानी, मौलाना सय्यद, आबिद रब्बानी, मौलाना सय्यद वाजिद रब्बानी, मौलाना सय्यद आमिर मसूदी, मौलाना सय्यद गौहर रब्बानी,सय्यद अज़हर रब्बानी, अशअ़र रब्बानी, असग़र रब्बानी, हस्सान मसूदी, फ़ैज़ान रब्बानी, रहबर रब्बानी, रिज़वान रब्बानी, अदनान रब्बानी, रेहान रब्बानी, सक़लैन रब्बानी, सख़ावत अली, मसूद रब्बानी, अकबर रब्बानी, सफ़दर रब्बानी आदि मौजूद रहे। और चेन्नई, बंगलौर, सेलम, त्रिचनापल्ली, हैदराबाद, मुम्बई, मदुरई, गुजरात और बुंदेलखंड के मुख़्तलिफ़ इलाक़ों से भी कसीर तादाद में तमाम अकीदतमंद हजरात अपने मुर्शिद और मोहसिन के उर्स में शरीक रहे।


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