सरकार की तानाशाही मानसिकता
वापस न होने पर बडे आंदोलन की चेतावनी
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जिला कचहरी परिसर में शुक्रवार को अधिवक्ताओं की एक अहम बैठक हुई, जिसमें अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के विरोध में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। बैठक की अध्यक्षता करते हुए एडवोकेट काउंसिल के जिला प्रभारी रामप्रकाश पाण्डेय ने कहा कि सरकार वकीलों की सुरक्षा, स्वास्थ्य व मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान देने के बजाय उनकी आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। यह बिल वकीलों के अधिकारों पर कुठाराघात है, जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा। वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मिश्रा ने इस बिल को लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कहा कि यह अधिवक्ताओं की शक्तियों को कमजोर करने की साजिश है। वहीं जितेंद्र उपाध्याय एडवोकेट ने इसे वकीलों के संघर्ष व बलिदान का अपमान बताते हुए कहा कि अधिवक्ता हमेशा न्याय और अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आए हैं, लेकिन सरकार उनके हक को कुचलने का कुत्सित प्रयास कर
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अधिवक्ता संशोधन बिल पर रोष व्यक्त करते वकील |
रही है। अधिवक्ता कुंवर रोहित सिंह ने कहा कि यह बिल तानाशाही मानसिकता को दर्शाता है व इसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जाएगा। बैठक में शामिल अन्य अधिवक्ताओं ने भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बिल वकीलों को कमजोर करने और न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला है। सरकार को चेतावनी दी कि यदि यह बिल वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। बैठक में अनिल त्रिपाठी, देवशरण मिश्रा, विकास निगम, अलौकिकानंद, पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष लक्ष्मण त्रिपाठी, सुरेंद्र पयासी, अरुण टाइगर, नरेंद्र सिंह लल्ला, रामआसरे विश्वकर्मा, त्रिभुवन सिंह, लक्ष्मण कुशवाहा, माधव विश्वकर्मा, अजीत मिश्रा, अनूप गुप्ता, लवकुश गौतम, ओंकार तिवारी, अशोक कुमार, राम सिंह सहित आधा सैकड़ा अधिवक्ता मौजूद रहे।
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