चित्रकूट ब्यूरो, सुखेन्द्र अग्रहरि : जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में योग विषय पर चल रही तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का गुरुवार को समापन हुआ। जिसमें विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। समापन समारोह में पुलिस अधीक्षक डॉ अरुण कुमार सिंह ने कहा कि दर्शन का संबंध संवेदना से है। तत्व से परम तत्व की साधना ही दर्शन है। उन्होंने कहा कि विज्ञान के निरुत्तर होने पर दर्शन का ही सहारा लिया जाता है। समस्त वैश्विक समस्याओं के निदान में दर्शन की भूमिका अपरिहार्य है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शिशिर कुमार पांडेय ने कहा कि संसार के संस्कारों के चक्र से मुक्ति अपने से बड़ों के उद्बोधन से ही मिलती है। योग हमको प्रत्येक व्यक्ति से आत्मिक रूप से जोड़ने की प्रेरणा देता है। प्रयागराज विश्वविद्यालय के प्रो जटाशंकर तिवारी ने कहा कि योग द्वारा हम चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति कर सकते हैं। समापन समारोह में वाराणसी के डॉ
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गोष्ठी में बैठे विद्वान |
राजेश कुमार चौरसिया, दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय के डॉ नीतू तिवारी ने इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के अपने अनुभवों को साझा किया। संगोष्ठी के संयोजक डॉ हरिकांत मिश्र ने तीन दिवसों की विस्तृत आख्या प्रस्तुत की। बताया कि संगोष्ठी में विश्व के विभिन्न देशों से 76 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। समापन समारोह से पूर्व तकनीकी सत्र में डॉ उत्तम सिंह, डॉ नीरज कुमार पांडेय, डॉ ऋषिकांत पांडेय, डॉ रजनीश कुमार सिंह, डॉ ईश नारायण द्विवेदी, अल्पना सिंह, ममता कुशवाहा, चंदन सिंह, अर्चना यादव, आरती सिंह ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन डॉ गोपाल कुमार मिश्र एवं डॉ भविष्या माथुर ने किया। इस मौके पर प्रयागराज विश्वविद्यालय के प्रो डीएन यादव, अधिष्ठाता डॉ महेंद्र कुमार उपाध्याय, डॉ विनोद कुमार मिश्र, डॉ निहाररंजन मिश्र, डॉ अमित अग्निहोत्री, डॉ गुलाबधर, डॉ दुर्गेश कुमार मिश्र, डॉ प्रमिला मिश्रा, डॉ शांत कुमार चतुर्वेदी, डॉ संध्या पांडेय, डॉ रमा सोनी, डॉ मुकुंद मोहन पांडेय, रवि प्रकाश शुक्ल, दिलीप कुमार, डॉ अमिता त्रिपाठी, डॉ सुनीता श्रीवास्तव, डॉ पवन कुमार दुबे, डॉ अमित द्विवेदी, डॉ अजय कुमार पांडेय आदि मौजूद रहे।
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