जनहित या धनहित? नगर पालिका की चालबाजी
समाजसेवियों ने की अपील
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जिले में बस स्टैंड के स्थानांतरण का फैसला जनता के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। प्रशासन ने पुराने बस स्टैंड को हटाकर इसे शहर से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। यह निर्णय यात्रियों के लिए असुविधाजनक है व इसमें नगर पालिका के व्यावसायिक हित भी छिपे हुए नजर आ रहे हैं। खासतौर पर रात में यात्रा करने वाले लोगों को इस फैसले से ज्यादा परेशानी होगी। अगर किसी यात्री को रात में राजापुर, मानिकपुर या प्रयागराज जाना हो, तो उसे पहले नए बस स्टैंड तक लगभ 6 किलोमीटर का सफर तय करना होगा। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह निर्णय सुरक्षा की दृष्टि से भी खतरनाक साबित हो सकता
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बस स्टैंड को नष्ट करते मजदूर |
है। वहीं समाजसेवी व पूर्व सांसद भैरोप्रसाद ने भी उच्चाधिकारियों को पत्र लिख कर बस स्टैण्ड पर रोक लगाने की मांग की है। पुराना बस स्टैंड रेलवे स्टेशन के नजदीक था, जिससे यात्रियों को काफी सुविधा होती थी। वहां से ट्रेन पकड़ना भी आसान था, लेकिन अब नए स्थान पर जाने से यात्रियों को अतिरिक्त समय व पैसे खर्च करने होंगे। यही कारण है कि स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से अपील की है कि पुराने बस स्टैंड को अस्थायी रूप से चालू रखा जाए। वहीं इस फैसले में एक और बड़ा खेल नजर आ रहा है। पुराने बस स्टैंड पर स्थित 8×8 फीट के इनक्वायरी ऑफिस का किराया पहले मात्र 3000 रूपए था, जिसे नगर पालिका ने मनमाने तरीके से 30,000 रूपए कर दिया।
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परिवहन निगम इनक्वायरी ऑफिस |
यह मामला फिलहाल जिलाधिकारी के पास लंबित है, लेकिन नगर पालिका अपनी मनमानी से पीछे हटने को तैयार नहीं है। यह साफ दर्शाता है कि इस फैसले के पीछे आर्थिक लाभ की मंशा छिपी हुई है। नगर पालिका केवल पुराने बस स्टैंड पर ही नहीं, बल्कि नए बस स्टैंड के पास भी कमाई करने की योजना बना चुकी है। लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि यह कमाई जनहित में हो रही है या फिर कुछ गिने-चुने लोगों की जेबें भरने के लिए? वहीं एआरएम ने बताया कि जनहित में बस स्टैंड यहां रहना आवश्यक है जिससे आटो व रिक्शा चालकों की अवैध लूट कम होगी।
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