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Friday, May 23, 2025

एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत महिला समूहों ने किया भ्रमण

महिलाओं ने पौधरोपण के साथ ही उनके संरक्षण का लिया संकल्प

बांदा, के एस दुबे । पर्यावरण संरक्षण व हरियाली संवर्धन को समर्पित एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत शुक्रवार को महिला स्वयं सहायता समूहों का अंबेडकर पार्क व छाबी तालाब परिसर में विशेष भ्रमण कार्यक्रम आयोजित हुआ। यह आयोजन राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) व अमृत 2.0 योजना के संयुक्त तत्वावधान में डूडा, नगर पालिका परिषद और उद्यान विभाग के सहयोग से आयोजित हुआ। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को नगर क्षेत्र के चयनित स्थलों पर होने वाले वृक्षारोपण व उनके दीर्घकालिक संरक्षण के लिए प्रेरित करना रहा।

महिलाओं को पर्यावरणीय किट प्रदान करते अतिथि

अंबेडकर पार्क एवं छाबी तालाब ऐसे स्थल हैं, जहां शीघ्र ही पौधारोपण की योजना है और इन पौधों को लंबे समय तक संरक्षित रखने की जिम्मेदारी स्थानीय महिला समूहों को सौंपी जाएगी। इस मौके पर राधाकृष्ण व कालका माता स्वयं सहायता समूहों की सदस्याएं प्रीती साहू, आकांक्षा साहू, सुमन, कलावती, संपत, आरती प्रजापति, रेखा, भारती, आराधना व अनीता राजपूत ने सहभागिता की। भ्रमण के दौरान उन्हें पौधारोपण, पर्यावरण संरक्षण,जल स्रोतों की शुद्धता व देखरेख की व्यवहारिक जानकारी दी गई। प्रतिभागियों को यह भी बताया गया कि किस प्रकार पौधों की नियमित देखभाल व समुदाय की सक्रिय सहभागिता पर्यावरण को स्थायी रूप से समृद्ध बना सकती है। भ्रमण के बाद सभी महिलाओं को एक पर्यावरणीय किट प्रदान की गई, जिसमें छाता, पानी की बोतल, टोपी, पहचान पत्र, बैग, पेन और लेखन पैड शामिल थे। किट का वितरण सिटी मजिस्ट्रेट संदीप केला, डिप्टी कलेक्टर व परियोजना अधिकारी डूडा, नगर पालिका के सहायक अभियंता, सहायक उद्यान अधिकारी, सिटी मिशन मैनेजर संतोष कुमार व सामुदायिक आयोजक जितेंद्र शुक्ला द्वारा किया गया। अधिकारियों ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह अभियान केवल वृक्षारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि इन पौधों के दीर्घकालिक संरक्षण की जिम्मेदारी निभाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। एक पेड़ मां के नाम एक भावनात्मक पहल है, जो समाज को प्रकृति से जोड़ते हुए पारिवारिक जुड़ाव की अनुभूति भी कराती है। यह कार्यक्रम महिलाओं को पर्यावरण संरक्षण में नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करने के साथ ही शहरी हरियाली और जल संसाधनों के संरक्षण की दिशा में एक सशक्त सामुदायिक प्रयास के रूप में उभरा।


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