आपराधिक अत्याचार या आंतरिक मामला’? चित्रकूट का जलियांवाला कांड - Amja Bharat

Amja Bharat

All Media and Journalist Association

Breaking

Thursday, May 1, 2025

आपराधिक अत्याचार या आंतरिक मामला’? चित्रकूट का जलियांवाला कांड

जब लाचारों को लाठियों से पीटा गया

जख्म दिव्यांगों के शरीर पर नहीं, संविधान पर हैं

संविधान चुप है, लेकिन सवाल चीख रहे हैं?

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जिले के दिव्यांग विश्वविद्यालय में छात्रों पर हुए बर्बर लाठीचार्ज के मामले ने अब संवैधानिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्रों ने इस बर्बरता की शिकायत एसडीएम व डीएम से की। इसके बाद बुधवार को एडीएम ने पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट डीएम को सौंपी। रिपोर्ट में वीडियो फुटेज व अन्य साक्ष्यों के आधार पर छात्रों की बातों में दम होने की संभावना एडीएम ने खुद स्वीकारी। लेकिन इसी रिपोर्ट में एक चौंकाने वाली बात भी सामने आई-एडीएम के अनुसार यह विश्वविद्यालय का आंतरिक मामला है, और इसे विवि प्रशासन खुद निपटाएगा।  

वीसी से वार्ता को प्रदर्शन करते दिव्यांग छात्र

सवाल है-क्या अब अपराध भी इंटरनल मैटर हो गया है? क्या अगर किसी संस्थान में छात्रों पर बर्बरतापूर्वक हमला हो, तो उसे संस्थान की दीवारों में कैद कर कानून को दरकिनार किया जा सकता है? क्या विवि प्रशासन संविधान से ऊपर हो गए हैं कि उनके खिलाफ कार्रवाई तक अनुशंसा के लायक भी नहीं समझी गई? प्रशासन के इस रवैये ने न केवल छात्रों के घावों को और गहरा किया है, बल्कि संविधान और कानून की आत्मा पर भी चोट की है। सोचने वाली बात ये है कि जब वही प्रशासन किसी और मामले में तत्काल गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर सकता है, तो यहां दर्जनों घायल बच्चे, वायरल वीडियो और लिखित शिकायतों के बाद भी एफआईआर के आदेश क्यों नहीं दिए जा रहे? क्या इस बार पीड़ित दिव्यांग छात्र हैं इसलिए संवेदना कुंद हो गई है? इस घटना को अंदरूनी मामला कहकर छोड़ देना न केवल न्याय का उपहास है, बल्कि कानून की आत्मा का गला घोंटना भी।


No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages