पुल की मांग पर मौन अधिकारी
बाढ़ में बहता सिस्टम?
चित्रकूट (मानिकपुर), सुखेन्द्र अग्रहरि । जहां सरकारें कागजों पर विकास की गंगा बहा रही हैं, वहीं चित्रकूट के मानिकपुर विकासखंड में कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां एक छोटी सी नदी बरसात में यमराज का रूप धारण कर लेती है। ग्राम पंचायत गढ़चपा, हनुवा, कौबरा, गौरिया, बराक्षी और आसपास के गांवों के लिए यह नदी सिर्फ पानी नहीं, बल्कि प्रशासनिक बेरुखी और सिस्टम की संवेदनहीनता का बहता हुआ प्रमाण बन चुकी है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत जिस सड़क का निर्माण हाल ही में कराया गया, वह सरैंया मेन रोड को इन गांवों से जोड़ने वाली जीवनरेखा मानी जा रही थी। लेकिन जिस स्थान पर पुल की आवश्यकता थी, वहां सिर्फ मिट्टी की
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| मजबूरी में बाढ के बावजूद पानी से होकर जाते ग्रामीण |
उम्मीदें डाल दी गईं। जैसे ही बादल बरसते हैं, यह सड़क जल समाधि ले लेती है और गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट जाता है। इस खतरनाक हालत में यदि कोई बीमार हो जाए, तो अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी सांसे थम जाती हैं। कई ग्रामीणों ने बताया कि बरसात में नदी उफान पर आ जाती है और मजबूरी में लोग जान हथेली पर रखकर पार करने की कोशिश करते हैं। यह सड़क नहीं, मौत की दहलीज है, और सरकारें हैं कि कान में रुई डालकर सो रही हैं। ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा है- कह रहे हैं, क्या हमारे जान की कोई कीमत नहीं? क्या हम सिर्फ आंकड़ों में गिने जाने वाले नाम हैं? हमने न जाने कितनी बार अधिकारियों से गुहार लगाई, पत्र लिखे, प्रार्थनाएं कीं, लेकिन
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| पूरे गांव में भरा हुआ पानी दिखाता ग्रामीण मिन्टू सिंह |
जिम्मेदारों के जमीर तक कुछ नहीं पहुंचा। विडंबना तो यह है कि न तो किसी विधायक की नजर इस ओर पड़ी, न किसी सांसद की संवेदना जागी। क्या जनता की जान की कीमत वोट भर है? ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निवेदन किया है कि जिस तरह वे गड्ढामुक्त उत्तर प्रदेश का सपना दिखा रहे हैं, वैसे ही इस डूबती सड़क पर एक मजबूत पुल बनवाकर इन गांवों को बरसाती कहर से बचाएं।



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