चित्रकूट/मानिकपुर, सुखेन्द्र अग्रहरि । एक ओर बाढ़ से तबाही और दूसरी ओर राहत की जगह निराशा। मानिकपुर तहसील में मंगलवार को ग्रामीणों ने बाढ़ राहत वितरण में भारी अनियमितता और भेदभाव का आरोप लगाते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन किया। बाढ़ से तबाह हुए लोगों ने जब तहसील परिसर में अपने दर्द की आवाज उठाई, तो सन्नाटे में डूबा प्रशासन और भी सवालों के घेरे में आ गया। ग्रामीणों का कहना था कि भयंकर बाढ़ ने उनके घरों का अनाज, गल्ला और जरूरी सामान पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। कई लोगों के पास अब खाने तक को कुछ नहीं बचा। गल्ला सड़ गया है, बच्चे भूखे हैं और अब जब राहत मिलने की उम्मीद थी तो वह भी छलावा निकली- यह दर्दनाक बयान दिया ग्राम निवासी समीना ने। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें प्रशासन की ओर से तहसील बुलाकर राहत किट दिए जाने की बात कही गई थी। लेकिन जब वे मौके पर पहुंचे, तो उनसे सिर्फ अंगूठा या हस्ताक्षर कराकर उन्हें
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| तहसील में विरोध दर्ज कराते ग्रामीण |
बैरंग लौटा दिया गया। इससे आहत ग्रामीणों ने वहीं पर गंभीर विरोध दर्ज कराया और व्यवस्था की पोल खोल दी। आरोप है कि गांव के प्रधान को भी मौके पर बुलाया गया, लेकिन वह भी नहीं आए। ग्रामीणों का आरोप था कि प्रधान ने पहले ही लोगों से अंगूठा लगवा लिया और अब राहत सामग्री देने से इनकार कर रहा है। समीना ने यह भी बताया कि अब तो लेखपाल भी साफ मना कर रहे हैं कि कुछ नहीं मिलेगा। घटनाक्रम से ग्रामीणों का प्रशासन पर से भरोसा पूरी तरह डगमगा गया है। कहना है कि जब संकट की घड़ी में सरकार से मदद की उम्मीद की, तो यहां सिर्फ कागजी खानापूर्ति और फोटो खिंचवाने का खेल चल रहा है। गुस्साए लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द पारदर्शी और समुचित राहत व्यवस्था नहीं की गई, तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे।


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