घटिया निर्माण का फूटा भांडा?
ठेकेदारी तंत्र व अफसरशाही की साठगांठ?
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जनता के पैसों से बना विकास का सपना पहली ही बारिश में बह गया। नगर के कांशीराम नगर मोहल्ले में लगभग एक करोड़ पच्चीस लाख रुपये की लागत से तैयार हुआ नाला गुरुवार रात की बारिश में भरभराकर गिर गया। बारिश के पानी के साथ बहा तो सिर्फ सीमेंट और ईंट नहीं, बल्कि जिम्मेदारों की जवाबदेही, निर्माण की सच्चाई और भ्रष्टाचार की कलई भी खुलकर सामने आ गई। वार्ड नंबर-7 में बीते सप्ताह बना यह नाला नगर पालिका और ठेकेदार की उपलब्धियों का ताजा नमूना बन गया है। जैसे ही बारिश तेज हुई, नाला दीवार की तरह ढह गया और पूरे क्षेत्र में जलभराव हो गया। हालात ऐसे कि दुकानों और घरों में पानी घुस गया, लोगों का सामान खराब हुआ और गलियों में कीचड़-गंदगी के बीच जीवन थम सा गया। स्थानीय निवासी ने दो टूक
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| टूटा हुआ नाला |
कहा- यह नाला एक हफ्ते पहले ही बना था। इसमें घटिया सामग्री और बिना तकनीकी गुणवत्ता के काम हुआ, तभी पहली बारिश में ही सब कुछ उजड़ गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी तरह से भ्रष्टाचार की देन है। लोगों ने प्रशासन से इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि जब करोड़ों की लागत से बना ढांचा एक सप्ताह भी नहीं टिकता, तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि घोटाला है। चौंकाने वाली बात यह है कि नगर पालिका के किसी भी अधिकारी ने इस पर सार्वजनिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। अफसरशाही चुप्पी साधे बैठी है, मानो उनकी जवाबदेही ही न हो। यह वही पालिका है जो हर साल करोड़ों का बजट पास करवाती है लेकिन जब नतीजे सामने आते हैं, तो जनता को जलजमाव और बर्बादी के सिवाय कुछ नहीं मिलता। अब जनता पूछ रही है- विकास की गंगा बह रही है या भ्रष्टाचार का नाला?


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