इफको द्वारा नैनो उर्वरक प्रशिक्षण
खेती की लागत घटाने व उत्पादन बढ़ाने पर जोर
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । 72वें अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह के अंतर्गत जनपद में दीनदयाल आईटीआई परिसर में कृषि विभाग के फील्ड कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए नैनो उर्वरक उपयोग पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इफको के उप क्षेत्र प्रबंधक राजवीर सिंह ने प्रशिक्षण का संचालन करते हुए बताया कि नैनो उर्वरक भविष्य की खेती का महत्वपूर्ण आधार बनने जा रहे हैं और रासायनिक उर्वरकों के विकल्प के रूप में इनकी उपयोगिता तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने नैनो उर्वरकों की संरचना, प्रयोग विधि, सावधानियां और तकनीकी लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी दी, ताकि प्रशिक्षित कर्मचारी अपने क्षेत्रों में किसानों को वैज्ञानिक खेती के प्रति जागरूक कर सकें। इफको प्रयागराज से आए विशेषज्ञ अक्षय कुमार पांडे ने बताया कि नैनो उर्वरकों के प्रयोग से खेती की लागत में कमी आती है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके साथ
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| नैनो उर्वरक पर एक दिवसीय प्रशिक्षण में मौजूद अधिकारीगण |
ही भारत सरकार को सब्सिडी मद में होने वाले व्यय में भी उल्लेखनीय कमी आती है। उप कृषि निदेशक राजकुमार ने सभी फील्ड कर्मचारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में नैनो उर्वरकों पर आधारित प्रदर्शन लगाने और उनके परिणाम किसानों को दिखाने के निर्देश दिए। प्रशिक्षण के दौरान पाही गांव के किसान रमाशंकर मिश्र को नैनो डीएपी, नैनो यूरिया, नैनो जिंक और सागरिका किट उपहारस्वरूप प्रदान की गई, जिसे प्रदर्शन के रूप में उपयोग किया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार नैनो डीएपी से बीज उपचार करने पर 50 प्रतिशत दानेदार डीएपी की बचत होती है और उत्पादन में 10-15 प्रतिशत तक बढ़ोतरी देखी जाती है। नैनो उर्वरक 90 प्रतिशत से अधिक अवशोषित होते हैं, जबकि पारंपरिक खादों की उपयोग क्षमता काफी कम होती है। नैनो तकनीक को कृषि में सतत विकास की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
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