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Sunday, December 28, 2025

तेरी निगाह अगर मेहरबान हो जाए, तो ये ज़मीन अभी आसमान हो जाये

मशहूर शायर मिर्जा असद उल्ला खां गालिब के जन्म दिन पर आयोजित हुआ कवि सम्मेलन

बांदा, के एस दुबे  । हर साल की तरह इस साल भी शनिवार शाम मशहूर शायर मिर्ज़ा असद उल्ला खाँ गालिब के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में कवि सम्मेलन मुशायरे का आयोजन बाँदा शहर के तुलसी स्वरूप होटल किया गया । इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विजय कुमार पूर्व पुलिस महानिदेशक मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डिप्टी कलेक्टर इरफान उल्ला खां ने की संचालन नज़रे आलम ने किया । इस कविसम्मेलन मुशायरे में बाँदा के अलावा अन्य जनपदों के मशहूर शायरों कवियों ने अपनी अपनी कविताएं और ग़ज़लें सुनाई कार्यक्रम की शुरुआत हाफ़िज़ लतीफ बांदवी ने ग़ालिब की ग़ज़ल पढ़ी। इसके बाद पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लाखन सिंह ने ग़ालिब की जीवनी पर प्रकाश डाला। मुशायरे की शुरुआत करते हुए लखनऊ से आये हुए शायर शहबाज़ तालिब ने ग़ज़ल सुनाई ये दवा उसने लिखी है मेरी बेज़ारी की।

कवि सम्मेलन में बोलते हुए शायर।

इश्क ही आखरी खुराक है बीमारी की। जिसने सर अपना निकाला हुआ पत्थर का शिकार । तुमने खिड़की नहीं खोली ये समझदार की । इसके बाद कानपुर से आई नूरी परवीन ने पढ़ा, वफ़ा का फैसला इकरार पर है। मेरा सब कुछ निगाहे यार पर है । कहाँ देखूं कहाँ पर मैं न देखूं। । तेरी तस्वीर हर दीवार पर है ।। कानपुर से आई कवित्री शिखा मिश्रा ने पढ़ा, खूबसूरत ये शाम कर दूंगी, दिल को तेरे ही नाम कर दूंगी तू जो सोने का है व्यापारी तो

तेरा सोना हराम कर दूंगी । रायबरेली के जिला पूर्ति अधिकारी उबैदुर रहमान ने ग़ज़ल सुनाई, अपनी नज़रें ज़रा सम्भाल के देख, जब इधर देख, देख भाल के देख कैसे कैसे हैं लूटने वाले चंद सिक्के ज़रा उछाल के देख । इरशाद कानपुरी ने ग़ज़ल पढ़ी, बुलन्दी से निहारा है किसी ने मुझे नज़रों से मारा है किसी ने बलाएँ छू नहीं सकती है मुझको मेरा सदका उतारा है किसी ने ।। देश के मशहूर शायर जमील खैराबादी ने कई ग़ज़लें सुनाई तेरी निगाह अगर मेहरबान हो जाये तो ये ज़मीन अभी आसमान हो जाये खुदा से ये दुआ करता हूँ हर नमाज़ के बाद तमाम मुल्क में अमनो अमान हो जाये।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डिप्टी कलेक्टर बाँदा इरफान उल्ला ख़ाँ ने ग़ज़ल पढ़ी उन्हें भी अपनी वफ़ा का सुबूत देना पड़ा, जो एक सदा में ही घर छोड़ कर निकल आये, कहीं नहीं है मेरा ज़िक्र सर फ़रोशो में दुआ करो मेरी गर्दन पे सर निकल आये । कार्यक्रम में डाक्टर खालिद इज़हार, छाया सिंह, शमीम बांदवी, अनुराग विश्वकर्मा, तारिक अजीज,आदि ने भी अपने अपने कलाम सुनाए। कार्यक्रम के अंत मे मुख्य अतिथि विजय कुमार पूर्व डी,जी,पी, उत्तर प्रदेश पुलिस ने साहित्य के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए समाज के परिवर्तन मे साहित्यकारो की भूमिका बताई । इस आयोजन में अब्दुल रशीद सिद्दीकी, अहमद मगरिबी, शोभाराम कश्यप, मोहम्मद मुजीब खान आदि का विशेष योगदान रहा। अंत मे इस मुशायरे कवि सम्मेलन को सजाने वाले मेजबान डाक्टर सऊद उज़ ज़मा सादी ज़मा ने सभी का आभार्य व्यक्त किया। इस मुशायरे कवि सम्मेलन में सैकड़ों साहित्य प्रेमियों में पद्मश्री उमा शंकर पांडे, चीफ कमिश्नर मुंबई के के श्रीवास्तव, ए डी एम, नामामि गंगे मनमोहन वर्मा, सिटी मजिसरेट संदीप केला, सी एफ ओ डाक्टर सैय्यद आफताब हुसैन, आदि मौजूद रहे।


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