पैगम्बर-ए-इस्लाम की शिक्षा पर चलकर ही दुनिया में पैदा होगा शांति का पैगाम
बंदगी मिया की मस्जिद में बोले काजी शहर
फतेहपुर, मो. शमशाद । काज़ी शहर कारी फरीद उद्दीन कादरी ने अलविदा जुमा की नमाज़ से पहले जामा मस्जिद बंदगी मिया मोहल्ला पनी में अपनी तकरीर के दौरान कहा कि रमज़ान के महीने के आखरी जुमे को अलविदा जुमा कहा जाता है। अलविदा का शाब्दिक अर्थ जुदाई के हैं। यानी इसके बाद रमज़ान में जुमा अब इस वर्ष न होगा। काज़ी शहर कारी फरीद उद्दीन कादरी ने इस्लामी शरीअत पर चलकर सच्चा इंसान हो जाने की नसीहत दी। कुरआन की आयतों के हवाले से जहां पवित्र रमज़ान की खूबियां बताई वहीं दुनिया में अमनो सुकून का रास्ता भी कुरआन के उसूलों पर चलकर तलाशने की बात कही। उनका कहना रहा कि इस्लाम वो धर्म है जो कयामत तक आने वाले
बंदगी मियां की मस्जिद में तकरीर करते काजी शहर कारी फरीद उद्दीन। |
इंसानो की रहनुमाई करेगा। पैगम्बर-ए-इस्लाम की शिक्षा पर चलकर ही दुनिया में अमनो शान्ति का माहौल पैदा किया जाना यक़ीनी हो सकता है। शिक्षा की अहमियत को उजागर करते हुए कहा कि मज़हबे इस्लाम में तालीम हासिल करना फ़र्ज़ है इसलिए इल्म (शिक्षा) इंसानी तरक्की की पहली मंजिल है। अलविदा नमाज के बाद अल्लाह तआला की बारगाह में सभी नमाजियों ने मुल्क व सारी दुनिया के लिए अमनो शान्ति की दुआ की। उन्होंने ईदुल फित्र के त्योहार को आपसी भाईचारा के साथ मनाने की अपील की।
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