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Saturday, August 19, 2023

जिला अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी ने फांसी लगाकर जान दी

शहर के मर्दननाका मुहल्ले का मामला, परिजनों में छाया मातम 

बांदा, के एस दुबे । जिला अस्पताल में तैनात संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी ने कमरे के अंदर छत के छल्ले पर दुपट्टे से फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। शव देखते ही घरवालों में कोहराम मच गया। पुलिस ने परिजनों से पूछतांछ करने के बाद शव को कब्जे में ले लिया। परिजनों ने घटना का कारण अज्ञात बताया है। शहर के मर्दननाका मुहल्ला निवासी मुशीर अहमद (32) पुत्र शमशेर अहमद ने शनिवार की भोर कमरे के अंदर छत के छल्ले पर दुपट्टे से फांसी लगा ली। कुछ देर के बाद कमरे के अंदर पहुंची मां हाजरा ने देखा तो शोर मचाया। शोरशराबा सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंच गए। आनन-फानन फंदा काटकर उसे नीचे उतार लिया। उसे तत्काल जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया। वहां डाक्टरों ने देखने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। शव देखते ही घरवालों में कोहराम मच गया। चिकित्सकों की सूचना पर अस्पताल पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया। मृतक के भाई शब्बीर ने बताया कि मुशीर अहमद जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में वार्ड ब्वाय के पद पर तैनात था। वह जिला अस्पताल की पैथालाजी में कंप्यूटर का काम करता था। रात को खाना खाने के बाद वह कमरे पर चला गया। पत्नी अरफा और दो बच्चे अलग कमरे में सो रहे थे। इसी बीच मौका पाते ही मुशीर ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। बताया जाता है कि रमजान माह में भी मुशीर ने फांसी लगाकर खुदकुशी का प्रयास किया था। फंदा काटकर उसे नीचे उतारा गया था। इलाज के दौरान उसकी जान बच गई थी। लेकिन इस बार उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। साथी की मौत से कर्मचारियों में शोक का माहौल है। 

मुशीर अहमद (फाइल फोटो)

कंडोलेंस के नाम पर बंद रही जांचें 

बांदा। स्वास्थ्य कर्मचारी की मौत हो जाने से अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों में शोक की लहर छा गई। इसी बीच पैथालाजी में ब्लड कलेक्शन लेने का सिलसिला शुरू हुआ। 11 बजते ही वहां के कर्मचारियों ने ब्लड सेंपल लेने से मना कर दिया। ब्लड सेंपल न लिए जाने से मरीज इधर उधर भटकते रहे। शहर के कालूकुआं मुहल्ला निवासी विवेक मिश्रा अपनी पत्नी विजेता मिश्रा की जांच कराने पैथालाजी पहुंचे। वहां पर कंडोलेंस का बहाना बनाकर उनका सेंपल लेने से मना कर दिया गया। बाद में विवेक मिश्रा ने जिला महिला अस्पताल में अपनी पत्नी की जांच कराई। बताया जाता है कि संक्रामक बीमारियों के फेलने से जिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ बढ़ी हुई थी। हर काउंटर में मरीज जमा हुए थे। ऐसी स्थिति में अगर कंडोलेंस कर दिया जाता तो मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता। लेकिन ब्लड कलेक्शन न करने से मरीजों को बाहर की पैथालाजी से अपनी जांच करानी पड़ी। 

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