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Thursday, November 13, 2025

कागजों में योजनाएं, जमीं पर तबाही- मिटने की कगार पर अरछा बरेठी, जिम्मेदार बने तमाशबीन

मंडरा रहा अस्तित्व का संकट

हर बरसात में डूबता अरछा बरेठी

राजापुर/चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । राजापुर तहसील का अरछा बरेठी गांव इस वक्त अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। हर साल बरसात आते ही पयस्वनी नदी गांव पर कहर बनकर टूटती है। नदी के कटान से गांव का बड़ा हिस्सा बह चुका है और सैकड़ों परिवार हर बरसात में बेघर हो जाते हैं। मवेशियों, मकानों और खेतों के साथ अब गांव का नाम तक खतरे में है। गांव में केवट, ठाकुर, यादव, राजपूत और वैश्य समुदाय के लोग रहते हैं, जिनकी जिंदगी अब पानी और कटान के बीच झूल रही है। ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ और कटान की यह त्रासदी हर साल दोहराई जाती है, लेकिन शासन-प्रशासन सिर्फ सर्वे और रिपोर्ट तक ही सीमित है। सिंचाई विभाग के उच्चाधिकारियों ने तो इस समस्या को औचित्यहीन तक कह दिया, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया है।

नदी किनारे बसा गांव

उनका सवाल है- जो अधिकारी जमीनी हकीकत नहीं जानते, वे राहत कैसे देंगे? गांव के कई जिम्मेदार नागरिक जैसे पूर्व प्रधान सुमेर सिंह, शिव प्रताप त्रिपाठी, रामसेवक पांडेय, गया पांडे और बच्चा लाल बताते हैं कि वे सालों से अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, पर समाधान दूर की बात है। अब ग्रामीणों की निगाहें चित्रकूट के नवागंतुक जिलाधिकारी पुलकित गर्ग पर टिक गई हैं। लोगों को उम्मीद है कि वे नदी में पिचिंग कार्य कराके इस ऐतिहासिक गांव को डूबने से बचाएंगे। अगर प्रशासन ने अब भी ध्यान नहीं दिया, तो अरछा बरेठी जल्द ही नक्शे से गायब होने वाला अगला गांव बन सकता है और यह त्रासदी इतिहास का स्थायी धब्बा बन जाएगी।


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