सड़क किनारे लगे कचरे को अन्ना मवेशी मुंह मारकर फैला रहे
अतर्रा, के एस दुबे । स्वच्छता अभियान का नारा बुलंद करने वाली सूबे की सरकार के दावों की हवा उनके ही मातहत निकाल रहे हैं। सफाई पर जरा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जगह-जगह लगे कचरे के ढेर स्वच्छता अभियान की असल तस्वीर दिखा रहे हैं। सफाई कर्मचारियों की लापरवाही से कस्बे में गंदगी का आलम है। कचरे के ढेरों से निकल रही दुर्गंध से लोगों का आवागमन तक मुश्किल हो रहा है। सफाई के लिये सरकार करोड़ों रुपया सफाई के लिये खर्च कर स्वच्छ भारत अभियान चला रही है, लेकिन नगर पालिका प्रशासन इस अभियान पर पलीता लगाने में जुटा है। कस्बे में कहीं भी ठीक से सफाई नहीं हो रही। सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूरी हो रही है। जिसकी वजह से कस्बे में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हुए हैं। तहसील भवन से चंद कदमों की दूरी पर ही कचरे का ढेर लगा हुआ है। जिसकी दुर्गंध से लोगों का निकलना तक मुश्किल हो गया है। वही दर्जनों गौवंश जिनकी सुरक्षा का दायित्व सरकार अपने कंधों पर लिए हुए है, भोजन की तलाश में कचरे के ढेर पर टूट पड़ती हैं।
कचरे के ढेर पर एकत्र अन्ना गौवंश |
कचरे में कागज और पन्नी के साथ सड़ा-गला खाने से दर्जनों की तादाद में इन अन्ना गौवंशों की सेहत खराब हो रही है। लीवर में कचरा पहुंचने से इनकी मौत भी हो रही है। दूसरी ओर यह अन्ना गौवंश सड़कों पर दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। बीते तकरीबन छह माह में इसी मार्ग पर आधा दर्जन से अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें तकरीबन एक दर्जन लोग मौत के शिकार हो चुके हैं। इधर, नगर पालिका प्रशासन के पास कचरे के निस्तारण की कोई स्थाई व्यवस्था नहीं है। कस्बे में खाली पड़े प्लाटों और निर्जन स्थानो ंपर कचरा फेंका जा रहा है। इस कारण भी समस्याएं सामने आ रही हैं। कस्बे में सफाई के बाद पालिका की गाड़ी जो कचरा भरकर लाती है, उसे तहसील भवन से कुछ दूरी पर जाकर फेंक दिया जाता है। नगर पालिका परिषद के अधिशाषी अधिकारी राम सिंह से इस संबंध में जानकारी करने की कोशिश की गई तो उनका फोन स्विच आफ मिला। ऐसा कई बार हो चुका है कि अधिशाषी अधिकारी का मोबाइल स्विच आफ रहता है।
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