कानपुर, संवाददाता - शिव महापुराण कथा अष्टम दिवस में आज कथा व्यास पूज्य सन्त प्रतिमा प्रेम नेॐ नमः शिवाय के जाप के साथ कथा का शुभारंभ किया। उन्होंने अत्रि ऋषि की पत्नी अनुसुइया का कल्याण करने के लिए गंगा एक बार काशी आई अनुसुइया ने गंगा जी कहा की आप यही बस जाइए तो गंगा जी ने कहा यदि आप एक वर्ष का पतिव्रत का पुण्य हमे देदो तो मैं यही बस जाऊंगी। इसी से अत्रियेश्वर की स्थापना हुई। बारह ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तार से बताया।सोमेशर भगवान की पूजा करने से क्षय रोग दूर होता है। महाकाल की पूजा करने से अकाल मृत्यु
नहीं होती।ओंकारेश्वर में सभी मनोकामना पूर्ण होती है। काशी में सायुज्व भक्ति एवम जिसकी मृत्यु होती है, इसको बैकुंठ व मुक्ति प्राप्त होती है। त्रियंबकेश्वर महाराज की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है। नागेश्वर भगवान के दर्शन मात्र से दुष्ट व राक्षसी प्रवत्तियों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। घुश्मेश्वर लिंग की पूजा करने से समस्त विश्व कल्याण एवम शंकर की भक्ति प्राप्ति होती है। समिति के महासचिव राजेन्द्र अवस्थी ने व्यासपीठ का पूजन किया, कथा श्रवण में प्रमुख रुप से श्री जयराम दुबे, श्याम बिहारी शर्मा वी के दीक्षित, राज कुमार शर्मा, शैलेंद्र मिश्रा, शंकर लाल परशुरमपुरिया, आर पी पाण्डेय, बी के तिवारी, देवेश ओझा, श्याम सुंदर मिश्रा, पूनम कुमार, रेनू अवस्थी, मोहनी बाजपेई, जयन्ति बाजपेई, सीमा शुक्ला, जया त्रिपाठी, मुन्नी अवस्थी, पिंकी त्रिवेदी, कामिनी मिश्रा, जया, श्वेता, अर्चना, बीना सचान आदि उपस्थित रहीं।
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