हिंदी दिवस पर आयोजित किया गया सम्मान समारोह
बांदा, के एस दुबे । राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित हिंदी दिवस समारोह में महाविद्यालय की दो छात्राओं निशा देवी और सादिया को संयुक्त रूप से चंद्रपाल कश्यप स्मृति कविता सम्मान प्रदान किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित चित्रकूट धाम मंडल के पुलिस उप महानिरीक्षक डा. विपिन मिश्रा ने दोनो छात्राओं को सम्मान पत्र और 2100 रुपए की नगद धनराशि प्रदान की। यह पुरस्कार वर्ष 2020 से बांदा के कवि चंद्रपाल कश्यप की स्मृति में प्रदान किया जाता है। सम्मान की धनराशि प्रारब्ध कश्यप द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। पुरस्कारों की श्रृंखला में हिंदी में जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली मेधा मिश्रा और नेट उत्तीर्ण करने वाली प्रियांशी रैकवार को प्रतिभा पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कार प्रदान करते हुए डीआईजी विपिन
समारोह को संबोधित करते वक्ता |
मिश्र ने कहा कि सरकार आपको शोध करने की जितनी बड़ी धनराशि देती है। इसका सदुपयोग तभी होगा जब शोध कार्य में मौलिकता होगी। मेहनत से किए गए शोध कार्यों का सम्मान होता है और उन्हें पहचान मिलती है। इस अवसर पर हिंदी साहित्य क्यों पढ़ें, विषय पर वक्तव्य देते हुए डा. विपिन मिश्रा ने कहा कि हमें हिंदी के साथ क्षेत्रीय बोलियो को बचाना होगा। हिंदी क्षेत्रीय बोलियो का समुच्चय है। बोलियां ही हिंदी की ताकत हैं। उन्होंने सहज और संप्रेषण हिंदी प्रयोग किए जाने पर बल दिया ताकि ताकि उसे अहिंदी भाषी क्षेत्र के लोग भी समझ सकें । हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए यह बहुत आवश्यक है की हिंदी पट्टी के लोग अपनी भाषा के प्रति आत्मविश्वास रखे। जिस भाषा में जितना आत्मविश्वास होता है उसे उतनी ही स्वीकार्यता मिलती है। उन्होंने भारतेंदु हरिश्चंद्र से लेकर कई साहित्यकारों के योगदान को याद किया और इस बात पर बल दिया कि बाल बदलती परिस्थितियों के अनुसार प्रत्येक भाषा को भी बदलना पड़ता है, उसे अपने भीतर आवश्यक संशोधनों को स्वीकार करना पड़ता है। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर दीपाली गुप्ता ने कहा कि हिंदी हमारे दिल की भाषा है इसलिए उसकी जगह कोई अन्य भाषा नही ले सकती। उन्होंने निज भाषा उन्नति है सब उन्नति को मूल सूत्र को किसी भाषा और संस्कृति के विकास के लिए जरूरी बताया। स्वागत वक्तव्य देते हुए हिंदी विभाग के डा. सचिन मिश्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए यह सवाल उठाया कि हमे क्या पढ़ना चाहिए। उन्होंने केदारनाथ सिंह की कविता के हवाले से भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन करते हुए हिंदी विभाग के डा. शशिभूषण मिश्र ने कहा कि हिंदी भाषा की आज वैश्विक पहचान बनी है। उन्होंने कहा कि अगर भूमंडलीकरण ने हिंदी के सामने चुनौतियों प्रस्तुत की हैं तो कई विकल्प भी खोले हैं। इस अवसर पर प्रो. जितेंद्र कुमार, डा. सबीहा रहमानी, डा. जयकुमार चौरसिया, डा. माया वर्मा, डा. जयप्रकाश सिंह, डा. जयंती सिंह, डा. सपना सिंह, डॉ.अंकिता तिवारी, डा. विनोद सिंह चंदेल, डा. विनय कुमार पटेल, डा. वीरेंद्र प्रताप चौरसिया, डा. नीतू सिंह, डा. अस्तुति वर्मा, डा. संदीप सामंत सिंह, डा. राशिदा, डा. रामनरेश, डा. नीलमणि त्रिपाठी आदि शिक्षक मौजूद रहे। इस अवसर पर हिंदी विभाग की पूर्व छात्राएं भी उपस्थित रहीं।
No comments:
Post a Comment