चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की कर्म स्थली में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास भागवत रत्न नवलेश दीक्षित ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने -अनजाने प्रतिदिन कई पाप करता है। ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है। रविवार को उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आवाहन किया। स्थानीय भूतड़ों की गली में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथा में श्रद्धालुओं से कहा कि जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताये आदर्शों को सुनने व सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक से श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। व्यास पीठाधीश्वर ने रविवार को भागवत कथा दौरान कपिल चरित्र, सती चरित्र, धु्रव चरित्र, जड़ भरत चरित्र, नृसिंह अवतार आदि प्रसंगों पर कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है।
कथा व्यास नवलेश दीक्षित। |
उन्होंने भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने, अपने जीवन को सार्थक करने का आवाहन किया। भजन मंडली की ओर से प्रस्तुत भजनों पर श्रोता भावविभोर होकर नाचने लगे। किला बाग सीतापुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक नवलेश दीक्षित महाराज ने कहा कि वैराग्य मानव को ज्ञानी बनाता है। वैराग्य में मानव संसार में रहते हुए भी सांसारिक मोहमाया से दूूर रहता है। वाराह अवतार समेत अन्य प्रसंगों पर प्रवचन किये। यजमान गिरजा शंकर पांडे, धर्मपत्नी सुशीला देवी ने पूजा-अर्चना की। कथा व्यास ने भक्त नरसी मेहता के जन्म, श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति समेत अन्य प्रसंगों पर प्रवचन किये।
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