कैमरे के सामने की सफाई पर उठे सवाल
दो दिवसीय सफाई अभियान
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । भाजपा की सफाई भी जुमलाई। अब भाजपा को जनता साफ करेगी- यह तीखा तंज पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उस समय कसा जब प्रदेश सरकार के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह मंदाकिनी नदी के घाटों पर कचडा लेकर फोटो खिंचवाते नजर आए। सफाई के इस कैमरा-केन्द्रित अभियान पर आमजन और विपक्ष दोनों ही सवाल खड़े कर रहे हैं। जनता की तरफ से भी स्वर उठे- क्या केवल कैमरों के सामने की सफाई ही स्वच्छता है? घाटों पर कचडा लिए मंत्रीगण, प्रशासनिक अमला और भाजपा कार्यकर्ता जब रामघाट, राघवघाट और प्रयागघाट पर सक्रिय दिखे, तब एक बार फिर यह चर्चा छिड़ गई कि क्या यह अभियान केवल मीडिया कवरेज के लिए था या वास्तव में मंदाकिनी की शुद्धि के लिए कोई ठोस योजना है? लेकिन नदी के किनारे
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| फोटो खींचने में व्यस्त समाजसेवी |
गंदगी के स्थायी स्रोतों को बंद करने, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, या स्थायी पुनर्जीवन योजना पर कोई ठोस बात नहीं की गई। स्वच्छता के इस आडंबर के बीच यह भी देखा गया कि घाट किनारे खुले होटलों और दुकानों से हो रहा प्रदूषण जस का तस बना हुआ है। सालों से मंदाकिनी पर करोड़ों रुपये की योजनाएं कागजों में ही दम तोड़ती नजर आ रही हैं, जबकि मां मंदाकिनी की निर्मलता केवल भाषणों और आयोजनों तक ही सिमटकर रह गई है। इस पूरे अभियान में दीनदयाल शोध संस्थान और भाजपा के तमाम नेता सक्रिय रूप से भागीदार रहे, किंतु आलोचकों की नजर में यह स्वच्छता कम और सियासी अभिनय अधिक था।


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