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Saturday, May 24, 2025

योग एक प्राचीन भारतीय पद्धति है - प्रो. सुनील काबिआ

 योग जागरूकता प्रतियोगिता........

देवेश प्रताप सिंह राठौर 

उत्तर प्रदेश झांसी आज दिनांक 24 मई को महामहिम कुलाधिपति उत्तर प्रदेश आनंदीबेन पटेल जी की अनुशंसा के अनुसार इस वर्ष  "Yaga for One Earth, One Health" थीम पर आधारित उद्देश्य के अनुसार माननीय कुलपति जी प्रोफ़ेसर मुकेश पांडेय जी की अगुआई में छात्र कल्याण विभाग एवं मेजर ध्यानचंद शारीरिक शिक्षा विभाग के सौजन्य से प्रात: 7.00 बजे योग जागरूकता पदयात्रा रेली आयोजित की गयी जिसमे मुख्य अतिथि छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. सुनील काबिआ जी ने पदयात्रा प्रारम्भ होने से पहले कहा की योग एक प्राचीन भारतीय पद्धति है जो शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने का एक प्रभावी तरीका प्रदान करती है। योग के माध्यम से हम अपनी शारीरिक शक्ति, लचीलापन और मानसिक संतुलन को बेहतर बना सकते हैं। योग में किए जाने वाले आसन और


मुद्राएं न केवल मांसपेशियों को मजबूत करती हैं, बल्कि यह पूरे शरीर को ऊर्जा से भर देती हैं।विसिष्ट अतिथि प्रो. विनीत कुमार ने कहा की योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ध्यान है, जो हमारे विचारों को एकाग्र करने में मदद करता है और आंतरिक शांति का अहसास कराता है। यह हमें अपने व्यस्त जीवन से कुछ पल के लिए मानसिक विश्राम देने का अवसर प्रदान करता है। योग का अभ्यास न केवल वयस्कों के लिए, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी फायदेमंद है। यह हर आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है और इसे किसी भी समय शुरू किया जा सकता है। डॉ संतोष पांडेय जी ने शारीरिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित इस पदयात्रा आयोजन की तारीफ़ की , मेजर ध्यानचंद शारीरिक शिक्ष संस्थान के विभागाध्यक्ष डॉ राजीव बबेले ने कहा की नियमित योगाभ्यास से शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्तर पर लाभ मिलता है। इसे अपने जीवन में शामिल करके हम न केवल अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी बेहतर और संतुलित रह सकते हैं। संक्षेप में, योग एक जीवनशैली है जो हमें शारीरिक, मानसिक और आत्मिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती है। पूर्व समन्वयक डॉ उपेंद्र सिंह तोमर ने योग के संछिप्त अर्थ को बताया और कहा की  योग शब्द का अर्थ है ‘जोड़ना’। यह केवल शारीरिक व्यायाम से परे है और आत्मा को अनंत ब्रह्म से जोड़ने की प्रक्रिया है। योग में न केवल शरीर के आसन, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। यह शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करने का एक तरीका है। मुख्य अतिथि जी ने हरी झंडी दिखा कर इस योग जागरूकता पदयात्रा का सुभारम्भ किया, छात्र छात्राओं तथा विश्विधालय के शिक्षकों ने शिक्षक आवास पर एकता दिखाते हुए मानव श्रंखला बनायी I इस पदयात्रा में डॉ स्वप्ना सक्सेना, डॉ के एल सोनकर, डॉ अमित श्रीवास्तव, डॉ विनोद कुमार बौद्ध,डॉ रोहित तिवारी, डॉ यज्ञपाल सिंह, डॉ रूपम सक्सेना, डॉ ज्ञान प्रकाश अरजेरिआ, डॉ कृष्णा पांडेय, मिस प्रीती श्रीवास, हेमंत चंद्रा, अरशद अहमद ,कुण्डेश्वर एवं कुंदन और शारीरिक शिक्षा संस्थान के सभी छात्र छात्राओं ने सहभागिता की अंत में विभागाद्यक्ष शारीरिक शिक्षा ने सभी का आभार व्यक्त किया I

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