50 हजार आबादी बेहाल
गांव नहीं, कैदखाना बना इलाका
मऊ (चित्रकूट), सुखेन्द्र अग्रहरि । पहाड़ी क्षेत्रों में झमाझम बारिश के बाद यमुना नदी ने रौद्र रूप अख्तियार कर लिया है। मऊ तहसील क्षेत्र की नदियां उफान पर हैं और आधे से ज्यादा मऊ अब टापू बनता जा रहा है। यमुना के बढ़ते जलस्तर ने मऊ परदवां संपर्क मार्ग पर बहने वाली बड़की नदी, जम्होरा नाला, टिकरा नदी, बुंदेला नाला और कौशिकी नदी को विकराल बना दिया है, जिससे दर्जनों गांवों का आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है। हालात यह हैं कि परदवां, घुरेहटा, मवई, पाली, गढ़वा, चौगिरिया, डेंगरन का पुरवा जैसे डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों का न सिर्फ मऊ
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| नाव से गस्त लगाते सुरक्षा कर्मी |
मुख्यालय से बल्कि प्रयागराज की ओर जाने वाले रास्ते से भी संपर्क टूट गया है। करीब पचास हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। न तो बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं, न मरीज अस्पताल। ग्रामीणों का कहना है कि हमारा जीवन अब नदी की मर्जी पर टिका है। प्रभावित गांवों के लोगों ने निर्माणाधीन पुलों को शीघ्र पूर्ण कराने, बाढ़ के स्थायी समाधान और गांवों को प्रशासनिक राहत केंद्र से जोड़ने की मांग की है। कहना है कि सिर्फ नावें और बयान काफी नहीं, हमें ठोस इंतजाम चाहिए, ताकि अगली बारिश में हमारा गांव फिर जलसमाधि न बने। चित्रकूट के मऊ क्षेत्र में बाढ़ कोई नई बात नहीं, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी शासन-प्रशासन की लापरवाही और अधूरे विकास कार्य लोगों की जान पर भारी पड़ रहे हैं।
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