हाईटेक डकैतों की दस्तक?
हाईटेक गैंग का डिजिटल मास्टरमाइंड? निरंजन पाण्डेय
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । कभी नाम मात्र की अफवाह समझा गया कुकुरखावा उर्फ सोनू पटेल अब जिले के जंगलों में हलचल व सत्ता के गलियारों में फुसफुसाहट का नया केंद्र बन चुका है। कुछ दिन पहले तक एसपी ने सामने आकर स्पष्ट कहा था कि ऐसा कोई गैंग सक्रिय नहीं है, सब अफवाह है और सोनू पटेल के दिल्ली में नौकरी कर रहे होने का दावा वीडियो कॉल द्वारा सत्यापित कर दिया गया था। लेकिन अब कहानी जैसे पलट रही है, और वो भी चुपचाप, दबे पाँव। ग्रामवासियों की सतर्कता ने इस रहस्य को फिर से हवा दी है। ग्रामीणों की सूचना पर
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| गिदुरहा के जगलों में कॉबिंग करती पुलिस |
पुलिस ने जंगलों में दोबारा भारी कॉम्बिंग ऑपरेशन शुरू कर दिया है। इलाके के लोग इस नई गतिविधि को अफवाह कहकर टालने को तैयार नहीं हैं। सत्ता के गलियारों तक अब यह चर्चा पहुँच चुकी है कि शायद कोई ऐसा गैंग फिर से उभर रहा है जो पुरानी डकैत परंपरा को अब हाईटेक तकनीक से जोड़ कर नई शक्ल दे रहा है। यह भी संयोग नहीं हो सकता कि पुलिस विभाग ने हाल ही में साइबर जागरूकता बैठकें शुरू कर दी हैं। अब सवाल है
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| कोल्हुआ माफी के जगलों में कॉबिंग करती पुलिस |
कि जब सोनू पटेल दिल्ली में नौकरी कर रहा है, तब चित्रकूट के जंगलों में यह चुपचाप ऑपरेशन क्यों? कहीं ऐसा तो नहीं कि आधुनिक तकनीक के सहारे कोई गैंग वर्चुअल लोकेशन मैनिपुलेट कर रहा हो और पुलिस को भ्रम में रखकर जमीनी नेटवर्क फैला रहा हो? कुकुरखावा नाम भले ही पुराना हो, पर जिस शातिराना अंदाज में यह पूरा घटनाक्रम सुलग रहा है, उससे जिले में फिर से 90 के दशक की डकैतियों जैसी दहशत का माहौल बनने की आहट
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| सीओ यातायात के अगुवाई में बहिलपुरवा एवं थाना मारकुण्डी पुलिस ने चौरी के जंगल, रानीपुर टाइगर रिजर्व में कॉम्बिंग |
महसूस हो रही है? अगर इस बार कोई गैंग प्रशासन से दो कदम आगे निकला, तो यह न सिर्फ चित्रकूट पुलिस की चुनौती होगी बल्कि आम नागरिकों के लिए भी भय व असुरक्षा की बड़ी घड़ी होगी। सवाल बड़ा है क्या कुकुरखावा वाकई दिल्ली में है, या फिर डिजिटल परदे की आड़ में जंगलों में कोई नया डकैत अध्याय लिख रहा है? फिलहाल, जंगल की खामोशी व सत्ताधारियों की बेचौनी- दोनों कुछ कह रही हैं।
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