ट्रेजरी घोटालेे केस में बड़ा मोड़
भ्रष्टाचार की आड़ में फंसे निर्दोष
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । 43 करोड़ रुपये के चर्चित ट्रेजरी घोटाले से जुड़े कुछेक पेंशनर्स के मुकदमे की सुनवाई सोमवार को माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में हुई, जिसने पूरे जिले में हलचल मचा दी। इस मामले में पेंशनर्स अवधेश प्रताप सिंह, मोहनिया, सरला देवी, अमित कुमार मिश्रा, अजय कुमार और कृष्ण किशोर त्रिपाठी प्रमुख रूप से शामिल रहे। सबसे बड़ा आकर्षण रहा- युवा अधिवक्ता क्रांति किरण पांडेय की जोरदार पैरवी, जिन्होंने अपने तर्कों से अदालत का ध्यान खींच लिया। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा एवं जस्टिस अचल सचदेव की डिवीजन बेंच के समक्ष अधिवक्ता क्रांति ने दलील दी कि एफआईआर घटना के 7-8 वर्ष बाद दर्ज की गई, जबकि हर साल
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| अधिवक्ता क्रांति किरण पाण्डेय |
ट्रेजरी की जांच बाहरी टीम द्वारा की जाती रही है। याची कृष्ण किशोर त्रिपाठी के खाते में गलत राशि भेजी गई, जिसका उन्होंने न केवल विरोध किया बल्कि रकम वापस भी जमा कर दी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि याची के खिलाफ किसी अन्य थाने में कोई मुकदमा पंजीकृत नहीं है। क्रांति किरण पांडेय की तर्कसंगत बहस के बाद अदालत ने सरकारी वकील से जांच आख्या तलब करते हुए अगली सुनवाई तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। यह आदेश न केवल याची के लिए बड़ी राहत साबित हुआ, बल्कि अधिवक्ता क्रांति की कानूनी कुशलता और निर्भीकता का प्रमाण भी बन गया। चित्रकूट की कानूनी दुनिया में अब कहा जा रहा है-जहां क्रांति की दलील, वहां न्याय की मंजिल।
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